केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) में स्वतंत्र निदेशकों के पद बड़ी संख्या में खाली रहने को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने चिंता जताई है। सीपीएसई में स्वतंत्र निदेशकों के स्वीकृत 72 पदों में से 59 यानी 82 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। किसी महारत्न कंपनी ने अपने बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों के अनिवार्य पद पूरी तरह नहीं भरे हैं, वहीं कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनएचपीसी, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) और आरईसी ने स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति नहीं की है।
कंपनी अधिनियम और सार्वजनिक उद्यम विभाग की ओर से जारी दिशानिर्देशों में अनिवार्य किया गया है कि अगर बोर्ड का चेयरमैन कार्यकारी निदेशक है तो कम से कम बोर्ड के आधे सदस्य स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए। सीएजी ने सिफारिश की है कि सूचीबद्ध सीपीएसई में बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में नियुक्ति के मामले में दिशानिर्देशों व नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जिससे पारदर्शिता बेहतर रहे औऱ कामकाज में जवाबदेही लाई जा सके। 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए संसद में पेश अनुपालन ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है, ‘प्रशासनिक विभाग/मंत्रालय सूचीबद्ध सीपीएसई की तिमाही अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करना सुनिश्चित कर सकते हैं, जो डीपीई और सेबी के दिशानिर्देशों और नियमन में दिए गए हैं।’
कंपनी की आचार संहिता या नैतिकता की नीति के उल्लंघन, अनैतिक व्यवहार, संदिग्ध धोखाखड़ी संबंधी रिपोर्ट देने के लिए स्वतंत्र निदेशक जरूरी होते हैं। वे वित्तीय जानकारी की अखंडता सुनिश्चित करते हैं, सभी हितधारकों की रक्षा करते हैं और शेयरधारकों के हितों में टकराव को लेकर संतुलन स्थापित करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बोर्ड में स्वतंत्र प्रतिनिधियों की उपस्थिति को प्रबंधन के निर्णयों पर स्वतंत्र विचार देने में सक्षम और व्यापक रूप से शेयरधारकों व अन्य हितधारकों के हितों की रक्षा के साधन के रूप में माना जाता है।’