facebookmetapixel
Stock Market: 3 बड़ी वजहों से बाजार में जबरदस्त उछाल, सेंसेक्स 900 अंक चढ़ा और निफ्टी 25,600 के पारREITs को बूस्ट देगा रियल एस्टेट सेक्टर, 2030 तक मार्केट ₹60,000-80,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान2001 से 2025 तक सोना-चांदी कैसे बढ़े साथ-साथ, जानें आगे का आउटलुक और पूरी रिपोर्टDiwali Picks 2025: HDFC सिक्योरिटीज ने चुने 10 दमदार शेयर, 27% तक रिटर्न की उम्मीद; देखें पूरी लिस्टMidwest IPO GMP: ग्रे मार्केट में धुआं उड़ा रहा आईपीओ, डबल डिजिट लिस्टिंग के संकेत; 17 अक्टूबर तक कर सकते हैं अप्लाईAxis Bank Share: Q2 नतीजों के बाद 4% चढ़ा शेयर, जेफरीज ने बढ़ाया टारगेट प्राइस; कहा- ₹1430 तक जाएगा भावसोने में पैसा लगाने वालों का लगातार बढ़ रहा मुनाफा! WGC ने कहा – अब भी बाकी है बढ़तIPO Listing: रूबिकॉन रिसर्च ने निवेशकों की कराई चांदी, 28% प्रीमियम पर शेयर लिस्ट; कैनरा रोबेको ने दिया 5% लिस्टिंग गेनट्रंप का दावा- भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा; सरकार ने कहा- भारतीय कंज्यूमर के हित सर्वोपरिGold-Silver के भाव नई ऊंचाई पर, विदेशी बाजार में भी टूटे सारे रिकॉर्ड

जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जन बढ़ने की घटने लगी रफ्तार, स्वच्छ ऊर्जा का रिकॉर्ड योगदान

भारत में ताप विद्युत उत्पादन में चीन की तरह पहली बार गिरावट आई है। यह गिरावट पिछले साल जून से इस साल जून की अव​धि में दर्ज की गई है।

Last Updated- August 26, 2025 | 11:02 PM IST
fossil fuel

भारत में जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन में वृद्धि की रफ्तार में अच्छी कमी आई है। एक प्रमुख वैश्विक शोधकर्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले साल के आ​खिर से यह गिरावट दिख रही है। उन्होंने बताया कि इसकी मुख्य वजह जीवाश्म ईंधन के जरिये बिजली उत्पादन में कमी और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि है।

भारत में ताप विद्युत उत्पादन में चीन की तरह पहली बार गिरावट आई है। यह गिरावट पिछले साल जून से इस साल जून की अव​धि में दर्ज की गई है। अगर कोविड वै​​​श्विक महामारी और उसके बाद लॉकडाउन अव​धि को छोड़ दिया जाए तो यह इस सदी की पहली गिरावट है। इस दौरान स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि भी दर्ज की गई है।

एक वैश्विक थिंक टैंक द्वारा बिज़नेस स्टैंडर्ड से साझा किए गए खास आंकड़ों के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के कारण देश में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते उत्सर्जन को रोकने में मदद मिली है। ​फिनलैंड के ​थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीन एयर की प्रमुख विश्लेषक लॉरी मायलीविर्ता ने ईमेल के जरिये बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘चीन और भारत दोनों देशों में पिछले 12 महीनों (जून तक) के दौरान जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन में समान रूप से कमी देखी गई है।’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक भारत का सवाल है तो कोविड-19 लॉकडाउन के अलावा यह इस सदी की पहली गिरावट है।’

पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की ग्लोबल रिन्यूएबल्स 2024 रिपोर्ट के अनुसार, ‘मौजूदा नीतियों और बाजार स्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमारा मुख्य लक्ष्य 2030 तक 5,500 गीगावॉट की नई अक्षय ऊर्जा क्षमता को चालू करना है। इसमें से भारत की हिस्सेदारी 6 फीसदी रहने की उम्मीद है।’

आईईए ने कहा, ‘भारत में तेजी से हो रही नीलामी के अलावा रूफटॉप पीवी (फोटोवोल्टेइक) के लिए नई सहायता योजना और कई यूटिलिटी कंपनियों के मजबूत वित्तीय संकेतक देश को 2030 तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेजी से बढ़ता अक्षय ऊर्जा बाजार बना सकते हैं।’

द​​क्षिण ए​शिया में डेलॉयट के पार्टनर (सततता एवं जलवायु) विरल ठक्कर ने कहा, ‘नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ), ग्रीन ओपन ऐक्सेस और नैशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसे उपायों के साथ नीतिगत तेजी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे सभी क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिला है।’

उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान नई क्षमता वृद्धि में अक्षय ऊर्जा का योगदान करीब 80 फीसदी रहा, जबकि गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 228 गीगावॉट तक पहुंच गई। मगर मौजूदा स्थापना दर के आधार पर, 2030 में वैश्विक वार्षिक वृद्धि के लक्ष्य 940 गीगावॉट में भारत का योगदान अभी भी केवल लगभग 3 फीसदी ही होगा, जबकि चीन का योगदान करीब 30 फीसदी होगा। भारत अभी भी उस ​स्थिति से दूर खड़ा है जहां स्वच्छ ऊर्जा में वृद्धि औसत मांग वृद्धि के बराबर या उससे अधिक हो। पिछले 12 महीनों के दौरान उत्पादन में वृद्धि लगभग इसी स्तर पर रही।

उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि भारत में जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन में गिरावट असल में स्वच्छ ऊर्जा में रिकॉर्ड वृद्धि, जलविद्युत की बेहतर उपलब्धता, तापमान में नरमी और आर्थिक चुनौतियों आदि कारणों से हुई है। इससे बिजली की मांग में भी प्रभावित हुई है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, इस साल अप्रैल से जून की अव​धि में भारत के ताप विद्युत उत्पादन में एक साल पहले के मुकाबले 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई। इसी प्रकार ताप विद्युत संयंत्रों (गैस आधारित बिजली संयंत्रों को छोड़कर) का उपयोग जून में एक साल पहले के 75 फीसदी से घटकर 67 फीसदी रह गया।

तेल मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिजली उत्पादन के लिए कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड का धुआं भारत के उत्सर्जन में सबसे अ​धिक योगदान करता है।

First Published - August 26, 2025 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट