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‘मैत्री द्वार’ से कम हो रही ट्रकों की आवाजाही, भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार में आ रही कमी

भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि मार्ग से होने वाला करीब 70 फीसदी व्यापार (मूल्य के लिहाज से) इसी लैंड पोर्ट के जरिये होता है।

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ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- May 23, 2025 | 11:01 PM IST

कोलकाता से करीब 80 किलोमीटर दूर भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार पेट्रापोल लैंड पोर्ट ऊपरी तौर पर व्यस्त दिखता है। आठ लेन वाले नवनिर्मित ‘मैत्री द्वार’ पर सीमा पार करने के इंतजार में ट्रकों की लाइन लगी है। बांग्लादेश से आने वाले ट्रकों से माल उतारे जा रहे हैं और जिन ट्रकों से माल उतारा जा चुका है वे वापस जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं। मगर इस हलचल के पीछे एक गंभीर वास्तविकता भी छिपी है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण राजनीतिक संबंधों के बीच सीमा पार व्यापार की मात्रा चुपचाप कम हो गई है।

पेट्रापोल लैंड पोर्ट के सूत्रों के अनुसार, मार्च में निर्यात वाले करीब 9,400 कार्गो वाहन पेट्रापोल से बांग्लादेश की तरफ बेनापोल गए थे। मगर अप्रैल में आयातित माल लेकर करीब 4,100 ट्रक सीमा पार से आए। अप्रैल में भारत से निर्यात वाले ट्रकों की संख्या घटकर करीब 8,500 रह गई। इसी प्रकार आयात वाले वाहनों की संख्या भी अप्रैल में घटकर लगभग 3,200 रह गई।

दोनों देशों के बीच माल ढुलाई में गिरावट से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत के साथ उसके भू-राजनीतिक संबंध एवं व्यापार में आई तल्खी का पता चलता है। हालांकि व्यापारियों ने इन संकेतों को काफी पहले ही समझ लिया था और उससे निपटने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी।
व्यापारियों का सतर्क रुख अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार गिरने और मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार संभालने के बाद नियामकीय प्रतिबंधों की आशंका से व्यापार में तेजी आई थी। यही कारण है कि 2024-25 में पेट्रापोल के जरिये माल की आवाजाही पिछले पांच वर्षों में सबसे अ​धिक दर्ज की गई।

सूत्रों ने बताया कि उस दौरान कुल कार्गो आवाजाही करीब 1,53,000 ट्रकों तक पहुंच गई थी। इसमें भारत से निर्यात वाले ट्रकों की संख्या करीब 1,04,000 और आयात वाले ट्रकों की तादाद करीब 49,000 थी। नवनिर्मित बुनियादी ढांचा इतनी बड़ी तादाद में ट्रकों की आवाजाही को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने करीब छह महीने पहले पेट्रापोल में मैत्री द्वार एवं एक नए यात्री टर्मिनल का उद्घाटन किया था। पेट्रापोल भारत एवं बांग्लादेश के बीच व्यापार और यात्रियों की आवाजाही के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण भूमि बॉर्डर क्रॉसिंग है।

भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि मार्ग से होने वाला करीब 70 फीसदी व्यापार (मूल्य के लिहाज से) इसी लैंड पोर्ट के जरिये होता है। बिल्कुल सीमा पर अपने मेहराबों के साथ खड़ा यहां का विशाल कार्गो गेट दोनों देशों के बीच व्यापार में संभावित उछाल का प्रतीक है। मैत्री द्वार की क्षमता रोजाना करीब 2,000 ट्रकों को संभालने की है। यह आधुनिक सुविधाओं से लैस है जहां नंबर प्लेट की स्वचालित पहचान से लेकर बूम बैरियर, फेशियल रिकॉग्निशन मशीन, प्रवेश एवं निकास के लिए ऐक्सेस कंट्रोल आदि लगे हैं। मगर सवाल यह है कि दोनों तरफ से लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों कारण यह प्रवेश द्वार अपनी वास्तविक क्षमता को कब महसूस करेगा?

व्यापार में बाधाएं

भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाली कुछ वस्तुओं पर 17 मई को प्रतिबंध लगा दिया। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट में प्रतिबंधित आयात का मूल्य 77 करोड़ डॉलर आंका गया है। यह द्विपक्षीय आयात का करीब 42 फीसदी है। इन प्रतिबंधित वस्तुओं में रेडीमेड परिधान भी शामिल है जिसे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और उसके निर्यात की रीढ़ माना जाता है।

अब किसी भी लैंड पोर्ट के जरिये बांग्लादेश से रेडीमेड परिधान के आयात की अनुमति नहीं है। उसका आयात केवल नावा शेवा और कोलकाता बंदरगाहों के जरिये करने की अनुमति है। सूत्रों का कहना है कि इससे माल को बाजार तक पहुंचाने में समय और लागत दोनों में इजाफा होगा। जबकि रेडीमेड परिधान पेट्रापोल के जरिये आयात होने वाले शीर्ष पांच वस्तुओं में शामिल है।

अप्रैल में भारतीय धागे, चावल एवं अन्य वस्तुओं पर बांग्लादेश द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भारत सरकार ने यह पहल की है। बांग्लादेश ने भारतीय माल पर ट्रांजिट शुल्क भी लगा दिया है।

संयोग से धागा पेट्रापोल से शीर्ष पांच निर्यात वस्तुओं में भी शामिल था। लैंड पोर्ट के अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि अन्य वस्तुओं को इस मार्ग से भेजा जा सकता है। हालांकि पेट्रापोल की ओर कुछ गतिविधियां दिखती हैं, लेकिन बगल के यात्री टर्मिनल की ओर जाने पर एक अलग तस्वीर दिखती है।

उड़ान भरने का इंतजार

करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से 59,800 वर्ग मीटर क्षेत्र में निर्मित नए यात्री टर्मिनल को देखने से एक आधुनिक हवाई अड्डे का एहसास होता है। वहां वेटिंग एरिया, फूड ऐंड बेवरिजेस आउटलेट, पर्याप्त इमिग्रेशन काउंटर मौजूद हैं। इस प्रकार यह टर्मिनल रोजाना करीब 25,000 यात्रियों को संभालने के लिए तैयार है। मगर वीजा पाबंदियों के कारण वहां यात्रियों की आवाजाही काफी कम है। बेनिका बनिक ने बताया कि उनके बेटे के लिए चिकित्सा वीजा हासिल करने में छह महीने लग गए। अब वह कम से कम अगले तीन महीनों के लिए वह निश्चित हैं।

इस्माइल हुसैन के पास पहले से ही चिकित्सा वीजा था। उनके 30 वर्षीय भाई कैंसर से पीड़ित हैं और पिछले डेढ़ साल से उनका इलाज चल रहा है। मगर उनका वीजा जुलाई तक ही वैध है। हुसैन ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि वीजा की अवधि बढ़ा दी जाएगी और हम इलाज जारी रख सकेंगे।’

लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एलपीएआई) के एक अधिकारी के अनुसार, हसीना सरकार के पतन और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद केवल चिकित्सा एवं अन्य चुनिंदा श्रेणियों में ही वीजा जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों की आवाजाही (आगमन एवं प्रस्थान) रोजाना 8,000 से 9,000 तक थी जो घटकर करीब एक चौथाई रह गई है।

साल 2023-24 में यात्रियों की आवाजाही 23.4 लाख थी। मौजूदा बुनियादी ढांचा तैयार है और उसकी क्षमता भी काफी अधिक है लेकिन अभाव केवल यात्रियों का ही नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी दिख रहा है।

First Published : May 23, 2025 | 11:01 PM IST