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बिजली मंत्रालय इस समय आयात किए जाने वाले बिजली क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की सूची तैयार करने के लिए उद्योग के साथ काम कर रहा है। इसका मकसद इन वस्तुओं के स्थानीयकरण के लिए मदद देना है। इस सूची में सब सी केबल्स, परमानेंट मैग्नेट्स और उच्च चालकता वाली तांबे की छड़ें शामिल हैं।
मंत्रालय की शाखा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने उद्योग निकाय इंडियन इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईईईएमए) को भेजे एक पत्र में कहा, ‘मौजूदा परिदृश्य में यह पहल जरूरी है, क्योंकि बिजली क्षेत्र उन्नत उपकरणों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। आयात पर निर्भरता के कारण इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संबंधी जोखिम जुड़े हैं और इनकी कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता है।’
इन वस्तुओं के स्थानीयकरण से सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बल मिलेगा और इनके घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और ग्रिड का लचीलापन और ऊर्जा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
सीईए ने कहा, ‘बिजली मंत्रालय के लिए आर्थिक रूप से ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए एक यथार्थवादी, उद्योग-समर्थित मूल्यांकन आवश्यक है।’ प्राधिकरण ने आईईईएमए और एबीबी, आदित्य बिड़ला, ह्योसंग, पॉलिकैब, डोंग-वू क्वांटम इंडिया, स्टरलाइट, श्नाइडर, तोशिबा, केईसी और जिंदल एल्युमीनियम सहित उद्योग जगत के प्रमुख हितधारकों के साथ हाल ही में परामर्श के माध्यम से 73 महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की एक सूची बनाई है।
तकनीक उपलब्ध न होने, घरेलू विनिर्माण क्षमता सीमित होने या कम मात्रा में विनिर्माण पर महंगा पड़ने जैसी समस्याओं के कारण इस समय इन वस्तुओं का आयात किया जाता है। हिस्सेदारों से मिली जानकारी के आधार पर सीईए ने कार्रवाई के लिए 16 वस्तुओं को प्राथमिकता पर रखा है।