भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति के बाहरी सदस्य सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि जब तक महंगाई के स्पष्ट व अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य स्पष्ट नहीं किए जाते हैं तब तक इसके लचीले लक्ष्य नीतिगत निर्णयों को निर्देशित करने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न संकेतकों के पुराने पड़ चुके तरीके पर फिर से विचार करना अनुत्पादक होगा। उन्होंने कहा कि मौद्रिक प्रारूप विशेष तौर पर महंगाई के लक्ष्य निर्धारित कर रहे लक्ष्यों का अनिवार्य रूप से नियमित पुन आकलन हो।
इससे हम तेजी से बदलते आर्थिक वातावरण में समुचित ढंग से रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि खासतौर पर संकट के समय मुद्रास्फीति के लचीले लक्ष्य अमूल्य साबित हुए हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि प्रारूप में नियमित रूप से आकलन करने की आवश्यकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई का लक्ष्य 4 प्रतिशत तय किया है जबकि इसके दोनों तरफ 2 प्रतिशत के लचीलेपन का बैंड है।
महंगाई का लक्ष्य अक्टूबर में ऊपरी स्तर से ऊपर निकल गया था जबकि यह जनवरी में पांच माह के निचले स्तर 4.3 प्रतिशत पर आ गया था।