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चक्रवात का असर मॉनसून पर, केरल में दिख सकता है प्रभाव: IMD

Last Updated- June 05, 2023 | 11:05 PM IST
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देश बेसब्री से केरल में मॉनसून आने का इंतजार कर रहा है। इस बीच मौसम विभाग ने सोमवार को कहा है कि दक्षिण पूर्व अरब सागर में चक्रवात के कारण कम दबाव वाला क्षेत्र बन रहा है। यह अगले दो दिन में और तीव्र हो सकता है, जिसका असर केरल के तट की ओर बढ़ते मॉनसून पर पड़ सकता है। बहरहाल मौसम विभाग ने केरल में मॉनसून पहुंचने की संभावित तिथि नहीं बताई है।

उधर मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले वे 7 जून को केरल के तट पर मॉनसून पहुंचने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन अब यह 9 जून को पहुंचेगा।

स्काईमेट में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के वाइस प्रेसीडेंट महेश पालावत ने कहा, ‘लेकिन यह (आवक) त्रुटि के अंतर के भीतर होगा। हमने 3 दिन आगे या पीछे के अंतर के साथ 7 जून का अनुमान लगाया था।’ मॉनसून में देरी होने की वजह से खरीफ की अहम फसलों खासकर धान की रोपाई में देरी हो सकती है। पहले ही यह अनुमान लगाया गया है कि सितंबर महीने में समाप्त होने वाले 4 महीनों के दक्षिण पश्चिम मॉनसून के सीजन में देश के ज्यादातर इलाकों में जून में बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।

एग्रीटेक फर्म लीड्स कनेक्ट सर्विसेज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नवनीत रविकर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह ध्यान में रखना अहम है कि अल नीनो का असर भारत के सभी इलाकों में समान नहीं होता है। इसका असर अलग अलग हो सकता है। कुछ इलाकों में यह अति संवेदनशील हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय कारक भी होते हैं, जिसमें बारिश का वितरण, सिंचाई संबंधी बुनियादी ढांचा शामिल है। इसमें प्रति बूंद ज्यादा फसल जैसी योजनाएं खाद्य उत्पादन को बढ़ावा दे सकती हैं और कृषि संबंधी गतिविधियां कुल उत्पादन में ज्यादा हिस्सेदारी निभा सकती हैं।’

बहरहाल आईएमडी ने अपने चक्रवात के अनुमान में कहा है कि दक्षिणी अरब सागर के ऊपर पश्चिमी हवाएं समुद्र तल के औसतन 2.1 किलोमीटर ऊपर चलेंगी। दक्षिण पूर्वी अरब सागर के ऊपर चक्रवात बनने के कारण बादल उस इलाके में ज्यादा केंद्रित है और इसकी वजह से केरल के तट पर पिछले 24 घंटे से बादल कुछ कम हैं।

मौसम विभाग ने कहा है, ‘साथ ही इस चक्रवात के असर के कारण इस इलाके में अगले 24 घंटे तक कम दबाव रहेगा। इसके उत्तर की ओर बढ़ने से दक्षिण पूर्व और पूर्वी मध्य अरब सागर के निकटवर्ती इलाकों में अगले 24 घंटों के दौरान इसका असर तेज होने की संभावना है।’ऐसी स्थिति बनने और इसका असर तेज होने के साथ उत्तर की ओर इसके बढ़ने के से केरल के तट पर दक्षिण पश्चिमी मॉनसून पहुंचने पर बहुत असर पड़ सकता है।

दक्षिण पश्चिमी मॉनसून सामान्यतया केरल में 1 जून को आता है और इसमें 7 दिन के करीब आगे पीछे होता है। मई के मध्य में मौसम विभाग (IMD) ने कहा था कि 4 जून को मॉनसून केरल पहुंच सकता है।

केरल में मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को पहुंचा था।

मौसम विभाग ने पहले कहा था कि अल नीनो के असर के बावजूद भारत में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश की संभावना है।

अनुमान के मुताबिक उत्तर पश्चिमी भारत में सामान्य से लेकर सामान्य से कम बारिश की संभावना है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य बारिश की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक मॉनसून के दौरान बारिश का 50 साल का दीर्घावधि औसत 87 सेंटीमीटर है और मॉनसून के दौरान अगर इसके 94 से 106 प्रतिशत तक बारिश होती है तो उसे सामान्य बारिश माना जाता है। अगर दीर्घावधि औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश होती है तो इसे अपर्याप्त और 90 से 95 प्रतिशत बारिश को सामान्य से नीचे, 105 से 110 प्रतिशत के बीच बारिश को सामान्य से ऊपर और इससे ऊपर बारिश को भारी बारिश माना जाता है।

भारत की कृषि के लिए सामान्य बारिश अहम है। देश की 52 प्रतिशत खेती बारिश पर निर्भर है। यह जलाशयों को भरने के लिहाज से भी अहम है, जिससे पेयजल मिलता है। साथ ही बिजली उत्पादन के लिए भी बारिश अहम है।

भारत के कुल कृषि उत्पादन में बारिश पर निर्भर इलाकों की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है, जिसके कारण यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए अहम हो जाती है।

First Published - June 5, 2023 | 11:05 PM IST

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