भारतीय रिजर्व बैंक की मुद्रा और वित्त रिपोर्ट 2023-24 के मुताबिक भारत में डेटा की सेंधमारी से औसत नुकसान साल 2023 में 21.8 लाख डॉलर पहुंच गया है। साल 2020 के बाद से इसमें 28 फीसदी की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डेटा की सेंधमारी से औसत नुकसान अभी भी वैश्विक औसत से नीचे है। भारत में सबसे ज्यादा हमले फिशिंग से जुड़े है, जिसकी हिस्सेदारी 22 फीसदी है। डेटा चोरी या निजी जानकारी किसी और तक पहुंच जाने के मामले 16 फीसदी हैं।
साइबर हमलों के मामले में ऑटोमोटिव उद्योग सबसे ज्यादा नाजुक है। वहीं बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र को कड़े नियम-कायदों का लाभ मिल रहा है और उन्हें तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षा मिली हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में उद्योगवार साइबर हमलों के आंकड़ों से पता चलता है कि ऑटोमोटिव उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित है। स्मार्ट मोबिलिटी ऐप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर साइबर हमले के प्रमुख शिकार बनकर उभर रहे हैं। बीएफएसआई सेक्टर बेहतर तरीके से परिभाषित नियमों से संचालित हो रहा है और तुलनात्मक रूप से ऐसे हमलों से सुरक्षित है।’
वित्त वर्ष 2017-18 से घरेलू डिजिटल भुगतान संख्या के हिसाब से 50 फीसदी सालाना और मूल्य के आधार पर 10 फीसदी सालाना बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में डेटा सेंधमारी से औसत नुकसान 2023 में 21.8 लाख डॉलर रहा, और इसमें 2020 से 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह डेटा के उल्लंघन की वैश्विक औसत लागत से अभी भी कम है।’
वैश्विक रूप से साइबर अपराध से नुकसान 2028 तक बढ़कर 13.82 लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है, जो 2023 में 8.15 लाख करोड़ डॉलर था। डेटा की सेंधमारी से औसत नुकसान2023 में बढ़कर 44.5 लाख डॉलर हो गया, जिसमें तीन साल में 15 फीसदी वृद्धि हुई। इस लागत को देखते हुए ज्यादातर केंद्रीय बैंकों ने अपना साइबर सुरक्षा में निवेश का बजट साल 2020 से 5 फीसदी बढ़ा दिया है।