केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने एनएच-48 (गुरुग्राम–कोटपूतली–जयपुर खंड) पर 4 फ्लाईओवर और 9 फुट ओवर ब्रिजों (FOBs) की नींव रखी। यह परियोजनाएं लगभग ₹282 करोड़ की लागत से तैयार की जाएंगी और ट्रैफिक जाम, सड़क सुरक्षा और जलभराव की वर्षों पुरानी समस्याओं का समाधान करेंगी। ये सभी स्थान NH-48 के अत्यधिक व्यस्त और संवेदनशील हिस्से हैं, जहां यातायात और सुरक्षा की दृष्टि से ये ढांचागत विकास आवश्यक माना गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुरुग्राम को एक आधुनिक आर्थिक और शहरी केंद्र के रूप में विकसित करने में सरकार की नीतियों का बड़ा योगदान रहा है। प्रमुख परियोजनाएं जैसे द्वारका एक्सप्रेसवे, यूआरई-2, गुरुग्राम-सोहना एलिवेटेड कॉरिडोर, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे ने दिल्ली-एनसीआर को आपस में बेहतर कनेक्टिविटी दी है।
मल्होत्रा ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के ट्रैफिक डीकंजेशन हेतु 1,679 किमी की परियोजनाएं ₹80,545 करोड़ में पूरी हो चुकी हैं, ₹7,084 करोड़ की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और ₹23,850 करोड़ की योजनाएं अभी प्लानिंग चरण में हैं। इसमें UER-II, दिल्ली–अमृतसर–कटरा एक्सप्रेसवे, और दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे का विस्तार शामिल है।
इन नई परियोजनाओं से ट्रैफिक जाम से राहत, दुर्घटना संभावित ब्लैकस्पॉट्स का समाधान, पैदल यात्रियों की सुरक्षा, रैंप, सीढ़ियां और लाइटिंग से सुलभ और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
मल्होत्रा ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में सड़क विकास के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 2014 में 91,000 किमी था, जो अब 1.46 लाख किमी हो चुका है। फोर लेन या उससे अधिक चौड़े राजमार्ग की लंबाई 18,371 किमी (2014) से बढ़कर 48,422 किमी (2024) हो गई है, वहीं सड़क निर्माण गति 2014-15 में 12.1 किमी/दिन से बढ़कर अब 33.8 किमी/दिन कर दी गई है। इतना ही नहीं 2014 की तुलना में बजट आवंटन में 570% की वृद्धि की गई है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री ने कहा कि “इन्फ्रास्ट्रक्चर केवल सड़कें बनाने तक सीमित नहीं, बल्कि यह आर्थिक विकास की रीढ़ है। हर ₹1 निवेश से ₹3.2 का जीडीपी में योगदान होता है। प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान’ के तहत सड़क, रेलवे, पोर्ट, और शहरी विकास के बीच एकीकृत योजना बनाकर भारत को सीमलेस मोबिलिटी और आर्थिक शक्ति में बदला जा रहा है।”
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