अयोध्या को देश का प्रमुख पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में बहुत तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए बड़े स्तर पर बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। विकास की ये परियोजनाएं ऐसे समय में साकार हो रही हैं, जब जिले की आय और पर्यटकों की आमद में कई साल से कोई इजाफा नहीं हुआ है। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। इसकी घोषणा से पहले से ही शहर में एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, संपर्क राजमार्ग, सड़कें, पानी और बिजली जैसा आधारभूत ढांचा पुनर्विकसित किया जा रहा है।
अयोध्या की औसत प्रति व्यक्ति आय उत्तर प्रदेश के कुल औसत से काफी कम है। वर्ष 2011-12 में अयोध्या की प्रति व्यक्ति आय 24,800 रुपये थी, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 32,293 रुपये हो गई। जिले की वार्षिक वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही, जबकि इसी अवधि में प्रदेश की औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
कोविड-19 महामारी के कारण उत्तर प्रदेश और अयोध्या दोनों की ही प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में अयोध्या की प्रति व्यक्ति आय 31,550 रुपये दर्ज की गई थी। दो साल यानी 2018-19 के बाद से यह वार्षिक आधार पर 1.2 प्रतिशत घट गई।
उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय और तेजी से 4.3 प्रतिशत की दर से गिरी। वर्ष 2020-21 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 40,310 रुपये दर्ज की गई थी। प्रदेश की औसत प्रति व्यक्ति आय अयोध्या जिले के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक रही। वर्ष 2011-12 में भी प्रदेश और अयोध्या की आय में इतना ही अंतर था।
इसके बावजूद जिले में कई विकास परियोजनाओं पर खर्च किया गया है। लखनऊ-गोरखपुर हाईवे को अयोध्या तक बढ़ाया गया, जिस पर 2,500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसके अलावा 797 करोड़ रुपये की लागत से जिले की अंदरूनी सड़कें चौड़ी की गईं।
महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 320 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और 240 करोड़ रुपए में अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास किया गया है।
महामारी के दौरान तेज गिरावट के बाद पर्यटकों की संख्या अब लगभग महामारी से पहले के स्तर पर है। वर्ष 2022 में 2.68 करोड़ पर्यटक अयोध्या पहुंचे थे। 2018 में यह संख्या 2.85 करोड़ और 2019 में 3.05 करोड़ रही थी। हां, कुंभ मेले के दौरान 2019 में राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या बहुत बढ़ गई थी।
अयोध्या में बुनियादी ढांचे पर राज्य के दूसरे हिस्सों की ही तरह खर्च किया जा रहा है। नई दिल्ली के पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा प्रदेश के बजट दस्तावेज विश्लेषण के मुताबिक राज्य में 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश अपने शहरों पर अधिक खर्च कर रहा है। वर्ष 2022-23 में जहां अन्य सभी राज्यों ने शहरी विकास पर बजट का 3.5 प्रतिशत खर्च किया वहीं उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 5.7 प्रतिशत रहा।
शहरी खर्च पर उत्तर प्रदेश के आंकड़े संशोधित अनुमान पर आधारित हैं, जबकि अन्य सभी राज्यों के आंकड़े बजट अनुमान पर आधारित हैं। मीडिया अनुमानों के मुताबिक राम मंदिर के लिए 3,000 करोड़ रुपये एकत्र किए गए, जिसमें से आधे से कुछ कम धनराशि इसके निर्माण पर खर्च हो चुकी है। शेष धनराशि अधिशेष के रूप में ट्रस्ट के पास जमा है।