(बाएँ से) Rays Power Experts Ltd के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान सोलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील बंसल, और राजस्थान सोलर एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन अग्रवाल, बुधवार को जयपुर में आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड राजस्थान समृद्धि कार्यक्रम के तहत “ऊर्जा: प्रगतिशील नवीकरणीय क्षेत्र” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान। बीएस फोटो।
राजस्थान का सौर ऊर्जा क्षेत्र अब सरकारी प्रोत्साहनों या सब्सिडी पर निर्भर नहीं है। बल्कि विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रोत्साहनों के चलते ब्यूरोक्रेसी में अड़चनें और परियोजनाओं में देरी देखने को मिलती है। यह विचार ‘ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का उत्थान’ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में सामने आया, जो बिज़नेस स्टैंडर्ड समृद्धि – राजस्थान 2025 का हिस्सा थी। इस अवसर पर बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जयपुर से अपना 14वां अंग्रेजी और 7वां हिंदी संस्करण लॉन्च किया। पैनल में राजस्थान सोलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील बंसल, Rays Power Experts Ltd के संस्थापक और एमडी राहुल गुप्ता, और राजस्थान सोलर एसोसिएशन के सीईओ नितिन अग्रवाल शामिल थे।
राजस्थान सोलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील बंसल ने कहा कि आज राजस्थान को भारत की सोलर कैपिटल कहा जाता है, लेकिन सौर परियोजनाओं में प्रयुक्त उपकरणों के निर्माण में राज्य अभी भी गुजरात जैसे राज्यों से पीछे है। उन्होंने कहा कि असली रोजगार तब पैदा होगा जब राजस्थान में बड़े स्तर पर सौर उपकरण निर्माण शुरू होगा, क्योंकि सिर्फ उत्पादन इकाइयों से बड़ा रोज़गार नहीं मिलता।
बंसल ने कहा, “राजस्थान में फिलहाल सिर्फ दो बड़ी सौर उपकरण निर्माण कंपनियां हैं, जबकि सूरत में यह संख्या 50 से ज़्यादा है। जब राजस्थान में एक इकाई थी, तब सूरत में भी एक ही थी – लेकिन वहां विकास हुआ और यहां हम पिछड़ गए,”।
Rays Power Experts के संस्थापक और एमडी राहुल गुप्ता ने कहा कि राजस्थान में सौर उपकरण निर्माण गुजरात के मुकाबले पीछे इसलिए है क्योंकि गुजरात ने 2012-13 में ही ओपन एक्सेस नीति लागू की थी, जबकि राजस्थान ने इसे 2017 के बाद शुरू किया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में अब बैटरी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में निर्माण कार्य गति पकड़ रहा है और बिजली की कीमतें घटने के साथ निवेश आकर्षित हो रहा है।
गुप्ता ने कहा, “गुजरात का औद्योगिक माहौल राजस्थान से 5-7 साल आगे था, इसलिए वहां के उत्पादक बिजली की कीमत खुद तय कर सके। अब राजस्थान भी उसी रास्ते पर है,”।
राजस्थान सोलर एसोसिएशन के सीईओ नितिन अग्रवाल ने कहा कि भारत का 2030 तक 500 GW सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है, जिसमें से राजस्थान का लक्ष्य 125 GW है। वर्तमान में राज्य में 38 GW की स्थापित क्षमता है, यानी अगले पांच वर्षों में इसे तीन गुना बढ़ाना होगा। राजस्थान की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 300 GW तक है, जो कि देश में सबसे ज़्यादा है।
नितिन अग्रवाल ने कहा, “अगर 125 GW परियोजनाएं पूरी तरह स्थापित हो जाती हैं, तो इससे राज्य में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा,” – उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य में हुए निवेशक सम्मेलन में कुल 30 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए, जिसमें से 28 लाख करोड़ सिर्फ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आए हैं।
अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार ने राजस्थान को 10,000 MW की बैटरी स्टोरेज क्षमता आवंटित की है, जो कि देश में सबसे अधिक है। इनमें से 2,000 MW के लिए निविदाएं जारी भी कर दी गई हैं।
बंसल ने कहा कि टैरिफ (बिजली दर) निर्धारण आज सौर क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए और टैरिफ में अपने अतिरिक्त खर्चों को शामिल करने की सोच न रखे। राहुल गुप्ता ने बताया कि नीतिगत स्पष्टता आने से डिस्कॉम्स और उत्पादकों के बीच विवाद कम हुए हैं।
नितिन अग्रवाल ने बताया कि घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा, जबकि राज्य में लगभग 1 करोड़ 10 लाख बिजली कनेक्शन हैं, जिनमें से 80 लाख उपभोक्ता शून्य बिल देते हैं। “हमने एक अध्ययन किया, जिसमें पाया कि मुफ्त बिजली देने के बजाय अगर इन पैसों से घरेलू सौर क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जाए, तो यह ज्यादा स्थायी और पर्यावरण हितैषी होगा,”।
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि राजस्थान के पास सौर ऊर्जा में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनने की पूरी क्षमता है। इसके लिए ज़रूरी है कि सरकार उद्योग-अनुकूल नीतियां, पारदर्शिता, और ब्यूरोक्रेटिक जटिलताओं में कमी लाए। साथ ही, घरेलू और उपकरण निर्माण क्षेत्र को भी समान रूप से बल दिया जाए।
In Parliament: ध्वनिमत से लोकसभा में पारित हुआ ‘ऑनलाइन गेमिंग का प्रचार और विनियमन विधेयक, 2025’
BS Samriddhi 2025: राजस्थान में बिज़नेस आसान और सस्ता बनाने की जरूरत- विशेषज्ञ