केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार दो रेल परियोजनाओं पर मुहर लगा दी। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड की भी शुरुआत की है।
इन दो रेल परियोजनाओं में अमरावती रेल संपर्क परियोजना (57 किलोमीटर) और पूर्वोत्तर भारत और बिहार के बीच 256 किलोमीटर रेल लाइन परियोजना शामिल हैं। इन दोनों पर लगभग 6,798 करोड़ रुपये लागत आएगी।
एरूपलेम और नंबुरु के बीच नई रेल लाइन अमरावती से होकर गुजरेगी जिससे आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी (अमरावती) रेल मानचित्र पर आ जाएगा और इससे 9 स्टेशनों के जरिये 168 गांव रेल संपर्क से जुड़ जाएंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जारी एक बयान के अनुसार इस नई रेल लाइन से 12 लाख लोग लाभान्वित होंगे।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेल और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस नई रेल लाइन के साथ एक मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक हब भी तैयार किया जाएगा जो मछलीपत्तनम बंदरगाह, कृष्णपत्तनम बंदरगाह और काकीनाडा बंदरगाह से जुड़ जाएगा। वैष्णव ने कहा कि इस परियोजना पर 2,245 करोड़ रुपये लागत आएगी और 19 लाख मानव दिवस रोजगार मुहैया होंगे।
यह परियोजना अमरावती को हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता से रेल मार्ग से जोड़ेगी और अमरलिंगेश्वर स्वामी मंदिर, अमरावती स्तूप, ध्यान बुद्ध मूर्ति और उन्दावली गुफा जैसे स्थानों तक भी संपर्क मार्ग तैयार हो जाएगा।
नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा खंड और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड के लिए 256 किलोमीटर लंबे मार्ग दोहरीकरण पर 4,553 करोड़ रुपये खर्च आएगा। इस परियोजना से उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वोत्तर के यात्रियों को सुविधा मिलेगी और माल ढुलाई भी सुगम हो जाएगी।
यह परियोजना रणनीतिक लिहाज से महत्त्वपूर्ण भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक एवं समानांतर विकसित होगी और दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए भी अति महत्त्वपूर्ण साबित होगी। यह परियोजना उत्तरी राज्यों और पूर्वोत्तर के बीच चिकन नेक क्षेत्र (संकरा संपर्क मार्ग) तक भी पहुंचने का वैकल्पिक माध्यम प्रदान करेगी।
बयान में कहा गया, ‘मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना दो तेजी से उभरते जिलों सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के साथ संपर्क बढ़ा देगी। इससे 388 गांवों के लगभग 9 लाख लोगों को फायदा होगा।’
इस परियोजना की मदद से खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, कंटेनर आदि परिवहन तेज गति से हो पाएगा। इन दोनों परियोजनाओं के दायरे में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार के 8 जिले आएंगे, जिससे भारतीय रेल का मौजूदा तंत्र लगभग 313 किलोमीटर बढ़ जाएगा। ये दोनों परियोजनाएं पांच वर्षों में पूरी होंगी।
बयान में कहा गया, ये सभी स्थान कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह-अयस्क, इस्पात और सीमेंट आदि के परिवहन के लिए महत्त्वपूर्ण मार्ग हैं। क्षमता विस्तार कार्यों से माल परिवहन क्षमता सालाना 31 मिलियन टन (एएमपीपीए) बढ़ जाएगी। रेल मार्ग अमूमन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और कम ऊर्जा इस्तेमाल के साथ परिवहन के उम्दा साधन होता हैं। इससे जलवायु से जुड़े लक्ष्य प्राप्त करने के अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।