भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (ICAI) फॉरेंसिक ऑडिट करने वाले विशेषज्ञों की अनिवार्य योग्यता से संबंधित दिशानिर्देश तैयार कर रहा है।
आईसीएआई की योजना इन प्रस्तावों को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के पास भेजना है। इनमें फॉरेंसिक स्टैंडर्ड कोर्स अनिवार्य रूप से पूरा करना और आईसीएआई की सदस्यता के मानदंड शामिल हो सकते हैं।
आईसीएआई के सूत्रों ने बताया, ‘अभी भारत में फॉरेंसिक ऑडिटर के लिए शिक्षा के कोई मानदंड नहीं हैं। अभी कोई भी कंपनी या व्यक्ति विशेष अपने को फॉरेंसिक ऑडिटर कह सकता है।’
साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ने के कारण फॉरेंसिक अकाउंटिंग और धोखाधड़ी की जांच करने वाले विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ गई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कॉरपोरेट घोटाले और कर चोरी व धनशोधन पर नियामकीय कार्रवाई के कारण फॉरेंसिक ऑडिटरों की मांग बढ़ी है। आईसीएआई भारत में फॉरेंसिक ऑडिट पर भारतीय प्रतिभूति और नियामकीय बोर्ड (सेबी) से भी विचार-विमर्श कर रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक फॉरेंसिक ऑडिट करना हरेक के बस की बात नहीं है। फॉरेंसिक ऑडिट में धोखाधड़ी की आशंका, कदाचार या अनियमितताओं को रोकने के लिए वित्तीय रिकाडर्स की जांच की जाती है।
वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट ने सामान्य ऑडिटर और फॉरेंसिक ऑडिटर के बीच अंतर को उदाहरण से समझाया। उन्होंने कहा कि सामान्य ऑडिटर भूखंड संपत्ति की जांच में सामान्य तौर पर लैंड डीड और रिकॉर्ड की जांच करेगा। हालांकि फॉरेंसिक ऑडिटर सबसे पहले इस्तेमाल किए गए डीड और स्टैंम्प पेपर की जांच करेगा और इस जांच के आधार पर आगे बढ़ेगा।
आईसीएआई फॉरेंसिक अकाउंटिंग कोर्स विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम में चेतावनी के पूर्व संकेत, खामियों को उजागर करना और सामान्य धोखाधड़ी की स्थितियां शामिल हैं। इसमें गणितीय और मात्रात्मक तकनीकों के साथ साथ सवाल पूछने के तरीके भी शामिल हैं।
फॉरेसिंक ऑडिट के विशेषज्ञों के अनुसार यह कोर्स धोखाधड़ी की जांच, डिजिटल फॉरेंसिक और मामलों के विश्लेषण की बुनियादी जानकारी उपलब्ध कराता है। इसे वैश्विक मानदंडों व तकनीक आधारित एन्वायरमेंट के अनुरूप बनने के लिए और विकास करने की जरूरत है।