पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये के पाकिस्तान को खुले समर्थन के कारण भारतीयों का गुस्सा उसके सामान के बहिष्कार के रूप में फूट रहा है। लोग उसके सामान से ही मुंह नहीं मोड़ रहे, बल्कि पर्यटन और अन्य गतिविधियों के लिए वहां नहीं जाने का भी आह्वान कर रहे हैं।
देश की भावनाओं के साथ जुड़ते हुए कुछ भारतीय यात्रा एवं बुकिंग फर्मों ने तुर्किये के लिए अपनी बुकिंग अस्थायी रूप से निलंबित कर दी है। मेकमाईट्रिप की प्रवक्ता तनुप्रिया चौधरी ने कहा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान अजरबैजान और तुर्किये के लिए यात्रियों की बुकिंग में 60 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि टिकट रद्द कराने के मामलों में भी 250 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
यह रुझान ऐसे समय देखने को मिला रहा है जब तुर्किये जाने वाले भारतीयों की संख्या अब तक के उच्चतम स्तर पर है। वर्ष 2009 में लगभग 55,000 भारतीय पर्यटक तुर्किये गए थे। महामारी से पहले 2019 में यह संख्या 2,30,131 तक पहुंच गई थी। उसके बाद 2024 में 3,30,985 भारतीयों ने छुट्टियां मनाने के लिए तुर्किये के समुद्री तटों का रुख किया।
भारत तुर्किये के साथ माल व्यापार अधिशेष बनाए रखता है। हालांकि, यह व्यापार अधिशेष पिछले दो वर्षों से घट रहा है। इस बीच, तुर्किये के निवेशकों से भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्टॉक 2018 से गिर गया है। दूसरी ओर, तुर्किये में भारत का एफडीआई 2018 से लगातार बढ़ रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि भारतीय हवाई अड्डों पर बेड़े के रखरखाव और कार्गो सेवाओं में लगीं सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज और टर्किश टेकनिक जैसी तुर्किये की कंपनियां भारत और पाक के बीच छिड़े संघर्ष की तपिश का सामना कर सकती हैं। सेलेबी वर्तमान में नौ प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर काम कर रही है, जो उसके कुल व्यवसाय का 25 प्रतिशत है। यह फर्म भारत में सालाना 58,000 से अधिक उड़ानों का प्रबंधन करती है और लगभग 5,40,000 टन कार्गो का प्रबंधन करती है, जिसमें लगभग 7,800 कर्मचारी कार्यरत हैं।