आर्थिक तरक्की के साथ ईंधन की खपत और मांग भी तेजी से बढ़ी है। ईंधन की बढ़ती मांग के चलते ही भारत (India) दुनिया में अमेरिका (America) और चीन (China) के बाद तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोग करने वाला देश है।
बड़े कारोबारियों को डीजल (Diesel) की खरीद और व्यवस्थापन में कई सारी कठिनाइयों जैसे कि डीजल की चोरी, गलत गुणवत्ता और मात्रा, डीजल की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ता है। इन दिक्कतों को रिपॉस एनर्जी की डेटम मशीन काफी हद तक कम कर देती है इसलिए औद्योगिक घरानों में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है।
रतन टाटा के सहयोग से कारोबार खड़ा करने वाली पुणे की स्टार्टअप रिपॉस एनर्जी (Repos Energy) ने डेटम (DATUM) मशीन तैयार की है। अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज ने मिलकर ऊर्जा के वितरण में क्रांतिकारी बदलाव लाने और कार्बन रहित भविष्य की दिशा में एक ठोस कदम उठाने के उद्देश्य से वर्ष 2017 में रिपॉस एनर्जी कि स्थापना की थी।
कंपनी की तरफ से दावा किया गया है कि डेटम न सिर्फ डीजल खरीद और व्यवस्थापन में सहूलियत प्रदान करता है बल्कि तेल के अपव्यय को रोककर देश के आर्थिक विकास में भी अपना योगदान दे सकता है।
चेतन वालुंज कहते हैं कि रिपॉस का लक्ष्य हर तरह की ऊर्जा को आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से आपूर्ति और मांग की खाई को पाटना और उपभोक्ताओं तक आसानी से तमाम तरह की ऊर्जा को पहुंचाना है।
भारत में डीजल की कुल खपत का लगभग 80 फीसदी उपभोग किसी न किसी तरह के व्यवसाय या बिजनेस में किया जाता है। डीजल के थोक उपभोक्ताओं में ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग इत्यादि व्यवस्थाय शामिल है। इन व्यवसायों को डीजल की खरीद और व्यवस्थापन में कई सारी कठिनाइयों जैसे कि डीजल की चोरी, गलत गुणवत्ता और मात्रा, डीजल की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, डेटम इस नुकसान को कम करने वाली मशीन है।
डेटम एक ATM की तरह ही काम करते हुए व्यवसायियों को सहूलियत भी प्रदान करता है। डेटम डीजल की चौबीसों घंटे उपलब्धता को सुनिश्चित करता है और डीजल व्यवस्थापन से जुड़े और सारा डाटा तुरंत एक मोबाइल एप्लीकेशन पर उपलब्ध कराता है।
इससे उपभोक्ताओं को डीजल की सही मात्रा, गुणवत्ता, कुल खपत जैसी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है। इस तरीके से डेटम थोक उपभोक्ताओं के डीजल खर्च पर कम से कम 10 फीसदी की बचत कराने में मदद करता है।
इस मशीन से होने वाले फायदों की वजह से वीआरएल, प्रसन्ना पर्पल, अदाणी, आदर पूनावाला फाउंडेशन, आरडीसी कंकरीट इत्यादि डेटम का उपयोग कर रहे हैं। इन कंपनियों में अब डीजल व्यवस्थापन पूर्व तरीके से संचालित होकर डीजल बिलों पर लगभग 10 से 20 फीसदी तक की बचत संभव हो पाई है।
फिलहाल रिपॉस के साथ 2,000 से ज़्यादा साझेदार जुड़े हुए हैं और ये कंपनी 280 से अधिक भारतीय शहरों में सक्रिय है। रिपॉस अपने प्लेटफार्म की मदद से अब तक 10 करोड़ लीटर ईंधन का वितरण कर चुका है। इससे कार्बन उत्सर्जन में 14.85 मिलियन किलोग्राम तक ही कमी देखी गई है।