सरकार के उपक्रमों गेल इंडिया और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अपने बुनियादी ढांचा विस्तार के कार्यों को सरल करने के लिए सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इन दोनों का देश भर में गैस पाइपलाइन और राजमार्गों का नेटवर्क है। जटिल अनुमति और लेन-देन की प्रक्रियाओं के कारण ये दोनों अक्सर एक दूसरे के कार्य में व्यवधान की वजह बन जाते हैं।
राजमार्ग प्राधिकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसयू) के बीच यह अलग तरह का समझौता है, जिस पर 3 अगस्त को हस्ताक्षर हुए हैं। इसका मकसद क्रॉसिंग संबंधी अनुमति में तेजी लाना, वित्तीय प्रक्रियाओं का मानकीकरण करना और विवाद समाधान व्यवस्था बनाना है।
यह समझौता 2026 तक मान्य होगा और राजमार्ग प्राधिकरण व गेल के बीच आपसी समझौते के आधार पर इसे बढ़ाया जा सकता है।
क्रॉसिंग संबंधी अनुमतियों व मंजूरियों को सरल करने के लिए एनएचएआई और गेल 60 दिन के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करेंगी, अगर इनमें से कोई एक उस इलाके में अपनी संपत्ति बनाता है, जहां दूसरी इकाई की पहले से परियोजना है।
अगर प्रस्तावित काम पर आपत्ति को लेकर कोई बातचीत 60 दिन के भीतर नहीं होती है तो स्वतः एनओसी जारी हुआ मान लिया जाएगा।
साथ ही एनएचआई से यह भी उम्मीद की जाएगी कि वह गेल या उसकी एजेंसियों पर नई प्राकृतिक गैस, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस और अन्य हाइड्रोकार्बन गैस पाइपलाइन बिछाने को लेकर कोई शुल्क नहीं लगाएगा, जो मौजूदा राजमार्गों के आसपास बनाई जाएंगी। इसी तरह से गेल अपनी पाइपलाइन से गुजरने वाले नए बनने वाले राजमार्ग को लेकर एनएचएआई पर कोई शुल्क नहीं लगाएगा।
समझौते के तहत एनएचएआई जब नए राजमार्ग या विस्तार पर काम करेगा तो उसे पाइपलाइन के रक्षात्मक उपाय करने या गैस पाइपलाइन को हटाने पर आने वाली लागत का बोझ उठाएगा, अगर पहले से पाइपलाइन मौजूद है। यह काम राजमार्ग की आधिकारिक घोषणा के पहले किया जाएगा।
इसी तरह से अगर कोई पाइपलाइन राजमार्ग खंड से होकर गुजरती है तो उस काम पर आने वाले खर्च का वहन गेल करेगी। कंपनी से यह भी उम्मीद की जाएगी कि वह पाइपलाइन पर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की अनुमति के पहले एनएचएआई से बीमा कवर हासिल करे।
एनएचएआई का देश में 1,44,000 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क है। गेल देश के 19 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 14,617 किलोमीटर का पाइपलाइन नेटवर्क का संचालन करती है, जिसकी क्षमता 206 एमएमएससीएमडी (मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रति दिन) है। साथ ही कंपनी कई परियोजनाओं के माध्यम से अपनी क्षमता बढ़ा रही है, जिसमें 51,000 करोड़ रुपये की ऊर्जा गंगा पाइपलाइन शामिल है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 2,540 किलोमीटर क्षेत्र में होगी और लाखों परिवारों तक पहुंचेगी।
पश्चिमी भारत के प्रमुख बंदरगाहों से गेल का एलएनजी इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जा रहा है, जिससे ऊर्जा की कमी झेल रहे पूर्वी क्षेत्रों तक इसे पहुंचाया जा सके। गुजरात के दहेज में स्थित बंदरगाह एलएनजी भंडारण का सबसे बड़ा केंद्र और रीगैसीफिकेशन टर्मिनल है। हालांकि ओडिशा का धामरा पोर्ट 50 लाख टन एलएनजी के सालाना परिचालन के लिए विकसित किया जा रहा है।
अफसरशाही की वजह से होने वाली देरी की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार विभागों के बीच मंजूरी की प्रक्रिया को सरल करने की कवायद कर रहा है। इस साल की शुरुआत में एनएचएआई और रेल मंत्रालय के बीच जमीन हस्तांतरण सरल करने के लिए प्रस्ताव आया था।
(साथ में शुभायन चक्रवर्ती)