NEET UG 2024 row: केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि राष्ट्रीय पात्रता-कम-प्रवेश परीक्षा- स्नातक (नीट यूजी) 2024 को रद्द करना सही कदम नहीं होगा, क्योंकि परीक्षा में व्यापक स्तर पर गोपनीयता भंग होने के सबूत नहीं मिले हैं। केंद्र ने यह भी कहा कि यदि परीक्षा रद्द की गई तो लाखों ईमानदार छात्रों के हित प्रभावित होंगे और उनके भविष्य के लिए गंभीर खतरा पैदा होगा।
धांधली और पेपर लीक के आरोपों के चलते नीट-यूजी परीक्षा पर विवाद खड़ा हो गया था और बहुत से छात्र इसे रद्द करने की मांग के साथ अदालत पहुंच गए थे। नीट आयोजित कराने वाली एजेंसी एनटीए ने भी अदालत से परीक्षा रद्द नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।
सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट-यूजी का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) करती है। इस साल 5 मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक समेत कई तरह की अनियमितताओं के आरोपों के कारण अनेक शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।
परीक्षा को रद्द करने और गड़बडि़यों की जांच के लिए छात्रों, कोचिंग संस्थानों और अभिभावकों द्वारा दायर की गईं याचिकाओं के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि पूरे मामले की गहराई से जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई।
मंत्रालय ने कहा कि परीक्षा में गोपनीयता के किसी बड़े पैमाने पर उल्लंघन का कोई सबूत नहीं है। ऐसे में पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा, क्योंकि परिणाम पहले ही घोषित किया जा चुका है। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी परीक्षा में प्रतिस्पर्धी अधिकार होते हैं, ताकि ऐसे छात्रों के हितों को नुकसान नहीं हो, जो परीक्षा में कोई अनुचित तरीका नहीं अपनाते हैं।
इसमें कहा गया है, ‘परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने से 2024 में परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर नुकसान होगा।’ हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र उन लाखों छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जो कोई अवैध लाभ प्राप्त करने की कोशिश किए बिना, वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद परीक्षा में शामिल हुए हैं।
इसमें कहा गया है, ‘इसलिए, साबित तथ्यों पर आधारित वास्तविक चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए, वहीं बिना किसी तथ्य के केवल अनुमान पर आधारित अन्य याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।’
उच्चतम न्यायालय 8 जुलाई को संबधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें 5 मई को आयोजित परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाएं और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग वाली याचिकाएं शामिल हैं।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि विवादों से घिरी नीट-स्नातक 2024 परीक्षा को रद्द करना बेहद प्रतिकूल होगा और व्यापक जनहित के लिए विशेष रूप से इसे उत्तीर्ण करने वालों के करियर की संभावनाओं के लिए काफी हानिकारक होगा।
शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में नीट-स्नातक की परीक्षा आयोजित करने वाले एनटीए ने कहा कि कथित घटना/लीक के प्रयास का 5 मई को आयोजित पूरी परीक्षा के संचालन पर कोई असर पड़ता नहीं दिखा है, क्योंकि जांच एजेंसियों द्वारा इसमें शामिल पाए गए उम्मीदवारों की संख्या, परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संख्या की तुलना में नगण्य है।
एजेंसी ने कहा कि नीट-स्नातक 2024 परीक्षा बिना किसी अवैध गतिविधि के पूरी तरह से निष्पक्ष और गोपनीयता के साथ आयोजित की गई थी और ‘सामूहिक कदाचार’ का दावा ‘पूरी तरह से अपुष्ट, भ्रामक है और इसका कोई आधार नहीं है।’