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मोदी और पुतिन 1 सितंबर को थ्यानचिन में मिलेंगे, भारत-रूस रिश्तों को नई दिशा मिलने की संभावना

भारत पर रूसी तेल खरीद कम करने के अमेरिकी दबाव के बीच हो रही दोनों दिग्गज नेताओं की बैठक पर सबकी नजर

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 31, 2025 | 10:42 PM IST

भारत पर रूसी कच्चे तेल की खरीद कम करने के लिए अमेरिका के लगातार दबाव बनाने को देखते हुए चीन के थ्यानचिन शहर में सोमवार दोपहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच महत्त्वपूर्ण बैठक होगी। दोनों नेता शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नेताओं की बैठक के बाद मिलेंगे। पुतिन रविवार सुबह ही थ्यानचिन पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार शाम को चीन के इस उत्तरी शहर पहुंच गए थे। उन्होंने रविवार दोपहर को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

भारत ने अभी तक जवाबी शुल्क लगाने का कोई संकेत नहीं दिया है, ब​ल्कि अमेरिका के समक्ष घुटने टेकने के बजाय उसने रूस से अपनी दोस्ती मजबूत करने और पेइचिंग संग संबंधों को दोबारा बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। मोदी और पुतिन ऐसे मुद्दों पर बात कर सकते हैं जिन पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों एस जयशंकर और सर्गेई लावरोव ने बीते 22 अगस्त को मॉस्को में चर्चा की थी। दोनों विदेश मंत्रियों ने व्यापार और निवेश के माध्यम से भारत-रूस ऊर्जा सहयोग को बनाए रखने, रूस के साथ मिलकर सुदूर पूर्व और आर्कटिक शेल्फ में ऊर्जा संसाधनों के खनन और द्विपक्षीय व्यापार के संतुलन पर चर्चा की थी, जिसका पड़ला अभी रूस की तरफ झुका है।

भारत ने व्यापार असंतुलन को ठीक करने के साधन के रूप में फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस के लिए अपना निर्यात बढ़ाने की मांग की है। साथ ही निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामकीय बाधाओं को भी जल्द दूर करने का आग्रह किया था। रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जबकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

रूसी तेल खरीदने के कारण ट्रंप ने 7 अगस्त को भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद मोदी और पुतिन ने 8 और 18 अगस्त को दो बार फोन पर बात कर ​स्थिति पर चर्चा की। यह शुल्क 27 अगस्त को लागू हो गया। जयशंकर 22 अगस्त को मॉस्को में थे, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल ने अगस्त के पहले सप्ताह में रूस की राजधानी का दौरा किया।

अधिकारियों के अनुसार आगामी दिसंबर में संभावित भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुतिन नई दिल्ली आएंगे। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी के सितंबर के अंतिम सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क जाने की संभावना धूमिल पड़ती दिख है। यदि वह जाते तो वहां वह ट्रंप से मिलने के लिए वॉशिंगटन भी जा सकते थे।

अब नवंबर में भारत द्वारा क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी पर भी संदेह उत्पन्न हो गया है। हालांकि तोक्यो में शुक्रवार को अपनी बैठक में मोदी ने औपचारिक रूप से जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा को भारत आने का न्योता दिया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका भी इस गठजोड़ में शामिल हैं। ऐसे में नए उभरते भू-राजनीतिक वातावरण में इस समूह की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

‘द नोबेल प्राइज ऐंड ए टेस्टी फोन कॉल: हाउ द ट्रंप-मोदी रिलेशनशिप अनरावल्ड’ नामक रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स ने शनिवार को दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत जाने की कोई योजना नहीं है।

मोदी और पुतिन सोमवार को मिलने वाले हैं। ऐसे में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में जेलेंस्की ने कहा कि भारत ने आवश्यक प्रयास करने और रूस को उचित संकेत देने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत के बारे में मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘हमने मौजूदा संघर्ष, इसके मानवीय पहलू और शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयासों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत इस दिशा में सभी प्रयासों को पूरा समर्थन देता है।’

एक अन्य संबंधित घटनाक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को अपनी फिनलैंड की विदेश मंत्री एलिना वाल्टोनन के साथ टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में भारत को अनुचित रूप से लक्षित नहीं किया जाना चाहिए। मॉस्को यात्रा के दौरान जयशंकर ने कहा था कि अमेरिका के तर्क से भारत हैरान है, क्योंकि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, न कि भारत और यूरोपीय संघ रूसी एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार है, न कि भारत। जयशंकर ने भारत-रूस संबंधों को ‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के प्रमुख संबंधों में सबसे स्थिर’ बताया था। जयशंकर ने इसके लिए ‘भू-राजनीतिक ​स्थिति, नेतृत्व संपर्क और लोकप्रिय भावनाओं को बड़ा कारक बताया था।

प्रधानमंत्री मोदी पुतिन के साथ बैठक के बाद दिल्ली के लिए रवाना हों जाएंगे, जबकि रूस के राष्ट्रपति 3 सितंबर को पेइचिंग में होने वाले एशिया में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ से संबंधित कार्यक्रम में भाग लेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप दोबारा चुने जाने के बाद मोदी और पुतिन की यह पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी। दोनों नेता आखिरी बार अक्टूबर 2024 में रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर मिले थे।

First Published : August 31, 2025 | 10:42 PM IST