सरकार ने 31 मई को शाम 5 बजे कई जिलों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ नाम के सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का दूसरा फेज आयोजित करने का ऐलान किया है। यह अभ्यास खास तौर पर पाकिस्तान की सीमा के पास पंजाब, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के इलाकों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। पहली ड्रिल 7 मई को हुई थी, जो ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से पहले हुई थी।
सरकार ने कहा है कि पहली ड्रिल में कुछ कमियां सामने आई थीं। इसलिए दूसरी ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है ताकि सुरक्षा की तैयारी और बेहतर हो सके। इसका मकसद यह है कि दुश्मन के किसी भी हमले से अच्छे से निपटा जा सके। खासकर उन इलाकों में जो नियंत्रण रेखा के बहुत करीब हैं।
इस अभ्यास में सिविल डिफेंस के वार्डन, स्थानीय प्रशासन के लोग और युवाओं के संगठन जैसे NCC, NSS, NYKS और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स शामिल होंगे। ये सभी मिलकर संभावित खतरे जैसे दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल या विमान हमलों से बचाव के लिए काम करेंगे। साथ ही पुलिस, फायर सर्विस, डॉक्टर और आपदा प्रबंधन की टीमें भी हिस्सा लेंगी।
इस अभ्यास में एयर फोर्स और सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम के बीच बातचीत शुरू की जाएगी। एयर रेड सायरन बजाए जाएंगे और आपातकालीन संपर्क प्रणाली की जांच होगी। नागरिक इलाकों में बिजली की कटौती यानी ब्लैकआउट लागू किया जाएगा, जिसमें सिर्फ जरूरी काम करने वालों को छूट दी जाएगी। इसके अलावा, सभी वॉलंटियरों को बुलाया जाएगा, और नकली ड्रोन या विमान हमलों का अभ्यास होगा। 20 लोगों को नकली हमले वाले इलाके से सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। साथ ही रक्तदान अभियान भी होगा ताकि जरूरत पड़ने पर मदद मिल सके। सीमा सुरक्षा बल और सेना के साथ मिलकर सैनिकों की तैनाती और वापसी का भी अभ्यास होगा।
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यह मॉक ड्रिल पहले 29 मई को होनी थी, लेकिन कुछ प्रशासनिक कारणों से इसे 31 मई तक टाल दिया गया। यह अभ्यास 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद और जरूरी हो गया है, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी।
सरकार ने लोगों से कहा है कि वे मॉक ड्रिल के दौरान सरकारी सूचनाओं और आदेशों को ध्यान से सुनें और पालन करें। जब सायरन बजे या ब्लैकआउट हो, तब घबराएं नहीं। पुलिस और सिविल डिफेंस वालों की बात मानें और जहां रोक लगाई गई है, वहां न जाएं। हमेशा पानी, टॉर्च और प्राथमिक इलाज की चीजें अपने पास रखें ताकि जरूरत पड़ने पर काम आ सकें। यह मॉक ड्रिल देश के उन इलाकों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए की जा रही है, जहां खतरा ज्यादा है। इसका मकसद लोगों की जान और माल की रक्षा करना है।