facebookmetapixel
पांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यान

Prada vs Kolhapuri Chappals: विवाद नहीं सहयोग की राह पर चलेंगे प्राडा और कोल्हापुरी चप्पल; कोर्ट ने खारिज की याचिका

प्राडा ने स्वीकार किया कि उनके 2026 के पुरुषों के फैशन शो में प्रदर्शित सैंडल परंपरागत भारतीय कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित थे।

Last Updated- July 16, 2025 | 8:33 PM IST
Prada vs Kolhapuri Chappals
प्राडा की टीम ने मंगलवार को कोल्हापुर का दौरा किया

Prada vs Kolhapuri Chappals: इटालियन फैशन ब्रांड प्राडा (Prada) और कोल्हापुरी चप्पल (Kolhapuri chappal) का विवाद सुलझता नजर आ रहा है। कोल्हापुरी चप्पल तैयार करने वाले स्थानीय कारीगरों की नाराजगी और निर्माण प्रक्रिया पर बात करने प्राडा की टीम कोल्हापुर पहुंची तो नाराजगी भविष्य के रिश्तों की तरफ चल पड़ी। दूसरी तरफ बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्राडा के खिलाफ कोल्हापुरी चप्पलों के अनधिकृत इस्तेमाल के लिए दायर जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी।

कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित है डिजाइन- प्राडा

कुछ दिन पहले ही प्राडा पर प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पल के अनधिकृत इस्तेमाल का आरोप लगा था। यह विवाद उठने के बाद प्राडा ने स्वीकार किया कि उनके 2026 के पुरुषों के फैशन शो में प्रदर्शित सैंडल परंपरागत भारतीय कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित थे। कंपनी ने महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स को दिए एक जवाब में स्पष्ट किया कि प्रदर्शित सैंडल अब भी डिजाइन के स्तर पर हैं और वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उनकी पुष्टि नहीं हुई है।

Also Read: महारत्न पीएसयू NTPC ग्रीन एनर्जी में करेगी ₹20,000 करोड़ तक निवेश, कैबिनेट से मिली मंजूरी

प्राडा की टीम पहुंची कोल्हापुर

महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि प्राडा के फुटवियर डिजाइन प्रमुखों और दो बाहरी सलाहकारों सहित उनकी तकनीकी टीम के चार सदस्यों ने मंगलवार को कोल्हापुर का दौरा किया। उन्होंने कोल्हापुरी चप्पल निर्माण क्लस्टर का दौरा किया, उत्पादन प्रक्रिया का अवलोकन किया और स्थानीय कारीगरों के साथ चर्चा की। हमारी चप्पलें हाथों से बनाई जाती हैं और इनकी जड़ें परंपराओं से जुड़ी हैं।

विवाद नहीं सहयोग की राह पर चलेंगे

गांधी ने कहा प्राडा टीम अब अपने कॉर्पोरेट कार्यालय को रिपोर्ट सौंपेगी और उसके आधार पर प्राडा के वरिष्ठ अधिकारी अगले चरण में कोल्हापुर का दौरा कर सकते हैं। प्राडा की टीम बुधवार को भी कोल्हापुर में जानकारी जुटाने के साथ जिलाधिकारी से भी मुलाकात की। प्राडा के प्रतिनिधि, चेंबर और स्थानीय कारीगरों के बीच हुई बातचीत में एक बात में सहमति थी कि हमें विवाद नहीं करना और आगे मिलकर काम करना है।

हालांकि साझेदारी किस तरह की होगी यह अभी स्पष्ट नहीं किया गया। गांधी ने कहा कि विशेषज्ञ दल का दौरा अपने आप में सकारात्मक संकेत है। प्राडा द्वारा कोल्हापुर तक एक तकनीकी टीम भेजना उनकी ओर से गंभीर रुचि दर्शाता है। यह शायद पहली बार है जब प्राडा का कोई प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र आया है।

उन्होंने बताया कि प्राडा ने कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित होकर एक उत्पाद बनाया है। जब हमने रनवे पर इस डिजाइन को देखा, तो हमने आपत्ति जताई और उनसे इसकी उत्पत्ति बताने को कहा। उन्होंने हमें ईमेल के जरिए जवाब दिया और स्वीकार किया कि उनकी थीम कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित थी। दौरा करने वाली टीम कोल्हापुर के खुदरा बाजार भी गयी और दुकानदारों से बातचीत की।

Also Read: HDFC MF की इन 5 स्कीम्स का धमाल, 5 साल में 4 गुना बढ़ी निवेशकों की दौलत; SIP पर मिला 31% तक सालाना रिटर्न

अदालत ने खारिज की जनहित याचिका

बंबई उच्च न्यायालय ने प्राडा के खिलाफ कोल्हापुरी चप्पलों के अनधिकृत इस्तेमाल के लिए दायर जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले छह वकीलों के अधिकार क्षेत्र और वैधानिक अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे पीड़ित व्यक्ति या कोल्हापुरी चप्पल के पंजीकृत प्रोपराइटर या स्वामी नहीं हैं।

अदालत ने कहा कि आप इस कोल्हापुरी चप्पल के मालिक नहीं हैं। आपका अधिकार क्षेत्र क्या है और जनहित क्या है? कोई भी पीड़ित व्यक्ति मुकदमा दायर कर सकता है। इसमें जनहित क्या है? याचिका में कहा गया था कि कोल्हापुरी चप्पल को वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम के तहत भौगोलिक संकेत (जीआई) के रूप में संरक्षित किया गया है। इसके बाद पीठ ने कहा कि जीआई टैग के पंजीकृत स्वामी अदालत में आकर अपनी कार्रवाई के बारे में बता सकते हैं। अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह बाद में विस्तृत आदेश पारित करेगी।

First Published - July 16, 2025 | 8:30 PM IST

संबंधित पोस्ट