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टावर, सुरंग, परिवहन से संवरेगी मुंबई, बदल रहा नक्शा; रियल एस्टेट में उभर रहे सूक्ष्म बाजार

मुंबई के रियल्टी क्षेत्र में तेजी से चीजें बदल रही हैं। पुल, सुरंगें और परिवहन के लिहाज से विशाल गलियारे इस अनदेखे सूक्ष्म बाजार को एक बार फिर सुर्खियों में ला रहे हैं

Last Updated- October 08, 2025 | 10:34 PM IST
Real Estate

कारोबारी लिहाज के मामले में मुंबई लंबे समय से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी), लोअर परेल, वर्ली और अंधेरी पूर्व जैसे इलाकों पर निर्भर रहा है। आवास के लिए इसके चेंबूर, डोंबिवली और ठाणे जैसे इलाके प्रसिद्ध रहे हैं। मगर अब स्थिति बदल रही है और बड़े पैमाने की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं अब नए सूक्ष्म बाजारों को आकार दे रही हैं, जो शहर के रियल एस्टेट भविष्य को परिभाषित करने के लिए भी तैयार है।

विशेषज्ञ नवी मुंबई में उरण, उलवे, पनवेल, वर्सोवा, विक्रोली, अंधेरी पश्चिम-गोरई का इलाका, पालघर क्षेत्र और भिवंडी में सूक्ष्म बाजार का उल्लेख करते हैं। मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (एमटीएचएल), नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (एनएमआईए), विरार-अलीबाग मल्टीमोडल कॉरिडोर (वीएएमसी), विरार-अलीबाग मल्टीमोडल कॉरिडोर (वीएएमसी), वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक, ठाणे रिंग रोड, ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल, कोस्टल रोड और मेट्रो नेटवर्क के आसपास के इलाकों में भी लोगों की रुचि बढ़ रही है।

बिड़ला एस्टेट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी केटी जितेंद्रन ने कहा, ‘ठाणे और नवी मुंबई जैसे तेजी से बढ़ने वाले गलियारे आत्मनिर्भर आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों के तौर पर विकसित हो रहे हैं। बेहतर पहुंच और बेहतरीन जीवन स्तर मकान खरीदारों और निवेशकों दोनों को आकर्षित कर रहे हैं।’

रियल्टी एनालिटिक्स फर्म लीज फोरस के मुताबिक, शीर्ष 60 शहरों में बिकने वाले मकानों की 25 से 26 फीसदी हिस्सेदारी मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) की है। कंपनी के प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने बताया, ‘पिछले एक दशक में पुलों और मेट्रो कनेक्टिविटी सहित बुनियादी ढांचा क्षेत्र में आए सुधार ने लोगों के लिए पूरे शहर में आना-जाना काफी आसान बना दिया है। इससे एमएमआर में बिक्री और आपूर्ति दोनों बढ़ी है।’

उत्तारन-विरार सी लिंग और वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक से वर्सोवा-गोराई वाले इलाके में कनेक्टिविटी और बढ़ने की उम्मीद है।

रुस्तमजी समूह के बमन रुस्तम ईरानी का मानना है कि बुनियादी ढांचा सबसे आगे है और रियल एस्टेट के प्रवाह के लिए जिम्मेदार भी है। वह कहते हैं, ‘वर्सोवा, ठाणे और चेंबूर जैसे सूक्ष्म बाजारों में हमारी बढ़ती उपस्थिति सोच समझकर बनाए गए समुदायों को दर्शाती है।’

शापूरजी पलोनजी रियल एस्टेट के मुख्य कार्य अधिकारी और जॉयविल शापूरजी हाउसिंग के प्रबंध निदेशक श्रीराम महादेवन का कहना है, ‘विरार-अलीबाग मल्टीमोडल कॉरिडोर,कोस्टल रोड एक्सटेंशन, बुलेट ट्रेन और आने वाले समय में जलमार्ग कनेक्टिविटी जैसी परियोजनाएं विरार को एमएमआर के वृहद आर्थिक परिदृश्य में शामिल करेंगी।’

नाइट फ्रैंक इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक गुलाम जिया ने कहा, ‘मुंबई के पश्चिमी तट पर बुनियादी ढांचे ने मांग को बढ़ाया है। कोस्टल तटें जल्द ही दक्षिण मुंबई से जुड़ जाएंगे। रियल एस्टेट को फलने-फूलने कनेक्टिविटी, रोजगार और मनोरंजन के साधन की जरूरत होती है। पश्चिमी उपनगरों में ये तीनों मौजूद हैं।’

नवी मुंबई में उरण, उलवे, पनवेल और पेण की परियोजनाओं को एमटीएचएल, एनएमआईए, खारघर-उल्वे कोस्टल रोड, एमटीएचएल-चिरले कनेक्टर, पनवेल-कर्जत उपनगरीय रेल और कल्याण, डोंबिवली, तुर्भे और तलोजा को जोड़ने वाली मेट्रो लाइन 12 से लाभ मिल रहा है।

सैविल्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (अनुसंधान एवं परामर्श) अरविंद नंदन ने कहा, ‘बुनियादी ढांचे के कारण कीमतें बढ़ेंगी। उलवे, पनवेल, द्रोणागिरी और खारघर जैसे इलाकों में मजबूत मांग और कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। खारघर, सीवुड्स, और वाशी जैसे प्रीमियम क्षेत्रों में मध्यम वृद्धि देखी जाएगी, जबकि तलोजा में आकर्षक किराये के साथ किफायती आवास मिल जाते हैं।’

बेहतर बुनियादी ढांचा, किफायती आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र और बढ़ती मांग भी डेवलपर को नवी मुंबई की ओर आकर्षित कर रहे हैं।

गोदरेज प्रॉपर्टीज के क्षेत्रीय मुख्य कार्य अधिकारी अमितेश शाह ने कहा, ‘पनवेल और खालापुर में हमारे प्लॉटेड डेवलपमेंट में देश भर से रिकॉर्ड रुचि देखी गई है, जिसका सीधा श्रेया एमटीएचएल और एनएमआईए को जाता है।’

उल्लेखनीय है कि इस साल 2025 की पहली छमाही में नवी मुंबई में पट्टे पर कार्यालय लेने की करीब 21 फीसदी हिस्सेदारी रही। इनमें प्रौद्योगिकी फर्मों, खासकर वैश्विक क्षमता केंद्रों का दबदबा था और यह डेटा केंद्रों के लिए भी एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभर रहा है।

अन्य सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रों के मुकाबले नवी मुंबई में करीब 50 फीसदी कम किराया लगता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में साइबर सिटी, बेंगलूरु के आउटर रिंग रोड, चेन्नई में ओएमआर (ओल्ड महाबलीपुरम रोड) प्री टोल, हैदराबाद में हाईटेक (हैदराबाद इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी ऐंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी) सिटी और पुणे के हिंजेवाड़ी के मुकाबले यहां काफी कम किराया लगता है।

माइंडस्पेस रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी रमेश नायर ने कहा, ‘नवी मुंबई तेजी से कारोबार एवं प्रतिभाओं के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनता जा रहा है। बुनियादी ढांचा, कम लागत, सामाजिक सुविधाएं और शहरी नियोजन इसे लंबे समय के विकास के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।’

समृद्ध एक्सप्रेसवे वाला भिवंडी और 76,220 करोड़ रुपये की वधावन बंदरगाह परियोजना वाला पालघर जैसे अन्य सूक्ष्म बाजार भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। वेलस्पन वन के प्रबंध निदेशक अंशुल सिंघल ने कहा, ‘ठाणे और नवी मुंबई हवाई अड्डा वाले क्षेत्र, जिसमें भिवंडी, पनवेल, जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण और आसपास के औद्योगिक गलियारे भी शामिल हैं एमएमआर की सबसे रोमांचक गाथाओं में शुमार हैं। एमटीएचएल, एनएमआईए, मेट्रो विस्तार और सड़कों के चौड़ीकरण जैसे बुनियादी ढांचे में किए गए निवेश और आर्थिक आकर्षण को नया रूप दे रहे हैं।’

उभरते सूक्ष्म बाजार बड़े कार्यबल के लिए प्रतिस्पर्धी दरें प्रदान करते हैं, जिससे वाणिज्यिक विकास अंधेरी और बांद्रा से परे भी हो रहे हैं। एमटीएचएल, वीएएमसी, मुंबई-पुणे मिसिंग लिंक (एमपीएमएल) से बेहतर कनेक्टिविटी के कारण अलीबाग, लोनावाला और एंबी वैली जैसे सेकंड होम डेस्टिनेशन के भी बढ़ने की उम्मीद है। जिया ने कहा, ‘एमटीएचएल और वीएएमसी के जरिये अलीबाग से कनेक्टिविटी बेहतर होगी। एमपीएल के पूरा होने से लोनावाला और एंबी वैली की दक्षिण मुंबई तक पहुंच बढ़ेगी, जिससे काफी फायदा होगा।’

हीरानंदानी समूह के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘मांडवा के लिए चालू रोरो (रोल-ऑन, रोल-ऑफ) सेवाएं, रेवदंडा बंदरगाह के लिए आगामी रोरो और वीएएमसी, परिवर्तनकारी कदम साबित होगी और अलीबाग की कनेक्टिविटी और रियल एस्टेट क्षमता को बढ़ाएगी।’

उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि उभरते सूक्ष्म बाजारों में आपूर्ति प्रीमियम, मध्यम-आय और एकीकृत टाउनशिप वाले किफायती क्षेत्रों में अलग-अलग होती है। अविकसित सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, कार्यान्वयन में देरी और परियोजनाओं के पूरा होने को बुनियादी ढांचे की समयसीमा में पूरा करने जैसी चुनौतियां अब भी बरकरार हैं।

First Published - October 8, 2025 | 10:29 PM IST

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