मराठा समाज को आराक्षण दिलाने के लिए सरकार की तरफ से कदम उठाने शुरु किये जा चुके हैं। मराठा-कुणबी, कुणबी-मराठा जाति प्रमाणपत्र देने के लिए गठित समिति के सदस्य 11 अक्टूबर से मराठवाड़ा का दौरा करेंगे। समिति ने नागरिकों से अपने दस्तावेज देने की अपील की है। मराठा आरक्षण लागू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दी गई 40 दिन की समयसीमा में से आधा समय बीत गया है। अब केवल 20 दिन बचे हैं। जिसको देखते हुए मराठा समाज भी अपनी तैयारियों में जुटा है।
मराठा-कुणबी, कुणबी-मराठा जाति प्रमाणपत्र पात्र व्यक्तियों को देने के लिए कार्यपद्धति निर्धारित करने हेतु गठित की समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) और समिति के सदस्य 11 अक्टूबर से 23 अक्टूबर, 2023 तक छत्रपति संभाजीनगर विभाग का जिलावार दौरा करेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में विभागीय आयुक्त को पत्र भेजकर समिति के दौरे का जिलावार दौरे का कार्यक्रम बता दिया है।
इस दौरे के दौरान समिति के अध्यक्ष और सदस्य कार्य के अनुसार छत्रपति संभाजीनगर विभाग (मराठवाड़ा) के सभी जिलों में बैठकें करेंगे। जिले के नागरिकों को अपने उपलब्ध निज़ाम काल के सबूत, वंश, शैक्षिक सबूत, राजस्व सबूत, निज़ाम काल के दौरान किए गए समझौते, निज़ाम काल के संस्थानों द्वारा जारी किए गए सनद, राष्ट्रीय दस्तावेज़ आदि समिति को उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया गया है ।
समिति की पहली बैठक छत्रपति संभाजीनगर में 11 अक्टूबर को सुबह 11 बजे विभागीय आयुक्त कार्यालय में होगी। उसके बाद जालना के कलेक्टर कार्यालय में 12 अक्टूबर, 16 अक्टूबर को परभणी, 17 अक्टूबर को हिंगोली, 18 अक्टूबर को नांदेड, 21 अक्टूबर को लातूर , 22 अक्टूबर को धाराशिव और 23 अक्टूबर को बीड में जिलाधिकारी कार्यालय में समिति की बैठक होगी।
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि मराठा समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। इसलिए हमें एकजुट रहना चाहिए और खुद को बंटने नहीं देना चाहिए। जारांगे मराठा समुदाय के सदस्यों को एकजुट रखने के लिए इस समय राज्यव्यापी दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मराठा आरक्षण लागू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दी गई 40 दिन की समयसीमा में से आधा समय बीत गया है। अब केवल 20 दिन बचे हैं।
जारांगे मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर राज्य के जालना जिले में भूख हड़ताल पर थे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनसे मुलाकात की थी और उनकी मांग पूरी करने का आश्वासन दिया था जिसके बाद उन्होंने 14 सितंबर को भूख हड़ताल के 17वें दिन अपना अनशन समाप्त किया था।