पिछले 20 सालों के निवेश आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि सोना और चांदी ने शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक Sensex को पीछे छोड़ दिया है। केडिया एडवाइजरी के आंकड़ों के अनुसार, 2005 से लेकर दिसंबर 2025 तक सोना और चांदी दोनों ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया, जबकि Sensex की बढ़त तुलनात्मक रूप से कम रही।
साल 2005 में सोने की कीमत करीब ₹7,638 थी, जो 22 दिसंबर 2025 तक बढ़कर ₹1,35,925 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान सोने में लगभग 1,680 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली। खास बात यह रही कि केवल 2025 में ही सोना करीब 77 प्रतिशत चढ़ा। वैश्विक अनिश्चितता, महंगाई और सुरक्षित निवेश की मांग ने सोने को लगातार मजबूती दी।
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चांदी ने इस अवधि में निवेशकों को सबसे ज्यादा चौंकाया। 2005 में चांदी की कीमत ₹13,272 थी, जो दिसंबर 2025 तक बढ़कर ₹2,14,583 तक पहुंच गई। यानी करीब 1,516 प्रतिशत का रिटर्न। साल 2025 चांदी के लिए ऐतिहासिक रहा, जब इसमें 145 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। औद्योगिक मांग और निवेशकों की बढ़ती रुचि ने चांदी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक Sensex भी इस दौरान मजबूत रहा, लेकिन सोना-चांदी के मुकाबले पीछे रह गया। 2005 में Sensex 9,398 के स्तर पर था, जो 2025 में बढ़कर करीब 85,410 तक पहुंच गया। इस दौरान Sensex ने लगभग 817 प्रतिशत का रिटर्न दिया। हालांकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा रहे, फिर भी लंबी अवधि में निवेशकों को अच्छा लाभ मिला।
अगर पुराने रिकॉर्ड देखें तो कीमती धातुओं की ताकत पहले भी दिख चुकी है। साल 1979 में चांदी ने करीब 360 प्रतिशत और सोने ने 133 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया था, जो अब तक के सबसे ऊंचे स्तरों में शामिल है। यह दर्शाता है कि संकट और महंगाई के दौर में सोना-चांदी निवेशकों की पहली पसंद रहे हैं।