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Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र चुनाव में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर घमासान, BJP में ही उठ रहे विरोध के स्वर

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले हफ्ते कहा था कि वोट जिहाद का मुकाबला वोट के धर्मयुद्ध से किया जाना चाहिए।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- November 14, 2024 | 9:54 PM IST

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा में बंटेंगे तो कटेंगे का नारा खूब चल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस नारे को लेकर भाजपा के भीतर असहमति के स्वर उठने लगे हैं। महायुति के सहयोगी दल एनसीपी ने पहले ही इस नारे से अपने को अलग कर लिया है। भाजपा हर रैली में बटेंगे तो कटेंगे और वोट जिहाद का मुकाबला धर्मयुद्ध टैगलाइन को बोल रही है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता योगी आदित्यनाथ 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रैलियों में बंटेंगे तो कटेंगे का नारा लगाते रहे हैं। पर भाजपा सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि इस नारे की कोई प्रासंगिकता नहीं है। चुनाव के समय नारे दिए जाते हैं। यह विशेष नारा सही नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसकी सराहना करेंगे। व्यक्तिगत रूप से कहूं तो मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं। उन्होंने कहा कि हर राजनीतिक पदाधिकारी को बहुत सोचने के बाद फैसला लेना होता है। हमें यह भी देखना होगा कि किसी की भावनाएं आहत न हों।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले हफ्ते कहा था कि वोट जिहाद का मुकाबला वोट के धर्मयुद्ध से किया जाना चाहिए। इस पर चव्हाण ने कहा कि महायुति और भाजपा की नीति विकसित भारत और विकसित महाराष्ट्र है जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है। मैं जिहाद संबंधी बयानबाजी को ज्यादा महत्व नहीं देता। व्यक्तिगत रूप से कहूं तो विकास मेरा एकमात्र एजेंडा है। इसलिए मेरे पार्टी बदलने के बावजूद लोग मेरे रुख की सराहना करते हैं।

महाराष्ट्र में भाजपा एमएलसी पंकजा मुंडे ने भी बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह के नारे की कोई जरूरत नहीं है और उन्हें विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पंकजा ने कहा कि सच कहें, तो मेरी राजनीति अलग है। मैं सिर्फ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगा कि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि हमें विकास पर ही काम करना चाहिए। एक नेता का काम इस भूमि पर प्रत्येक जीवित व्यक्ति को अपना बनाना है। इसलिए, हमें महाराष्ट्र में ऐसा कोई विषय लाने की आवश्यकता नहीं है।

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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार पहले ही कह चुके हैं कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा उत्तर प्रदेश और झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलेगा। मैं इसका समर्थन नहीं करता। हमारा नारा है- सबका साथ सबका विकास है। पवार ने कहा कि दूसरे राज्यों के भाजपा के मुख्यमंत्री तय करें कि उन्हें क्या बोलना है। महाराष्ट्र में बाहर के लोग आकर ऐसी बातें बोल जाते हैं। हम महायुति में एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन हमारी पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग है। हो सकता है कि दूसरे राज्यों में यह सब चलता हो, लेकिन महाराष्ट्र में ये काम नहीं करता। महाराष्ट्र के लोग यह पसंद नहीं करते हैं।

हालांकि योगी आदित्यनाथ के बटेंगे तो कटेंगे नारे का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समर्थन किया है। संघ से सरकार्यवाह दतात्रेय होसबाले ने हाल ही में कहा था कि समुदाय को जोड़ने की जरूरत है, नहीं तो बांग्लादेश जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने बटेंगे तो कटेंगे नारे का भी समर्थन किया था। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होने हैं। यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी गठबंधन (महायुति) और कांग्रेस गठबंधन (महाविकास आघाडी) के बीच है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है।

First Published : November 14, 2024 | 9:54 PM IST