प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत के परमाणु क्षेत्र की धीमी लेकिन ठोस प्रगति को याद करने का मौका है 2 दिसंबर को मनाया जाने वाला विश्व परमाणु ऊर्जा दिवस। वित्त वर्ष 2015 में परमाणु ऊर्जा की स्थापित क्षमता 5.7 गीगावॉट थी जो 4 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) के हिसाब से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 8.2 गीगावॉट हो गई है। लेकिन, दीर्घकालिक महत्त्वाकांक्षा इससे कहीं अधिक बड़ी है। भारत का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावॉट क्षमता हासिल करना है। यदि यह लक्ष्य हासिल करना है तो वर्तमान से तीन गुना अधिक 12 प्रतिशत सीएजीआर की आवश्यकता होगी। इस क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए संसद में परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 पेश किया गया। इससे नीतिगत सक्रियता बढ़ रही है। फिलहाल, उत्पादन केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। परमाणु ऊर्जा की कुल क्षमता में भारत की हिस्सेदारी बहुत सीमित वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 24 तक 1.9 प्रतिशत और 2.9 प्रतिशत के बीच रही है।
थर्मल पावर देश में कुल क्षमता में सबसे अधिक योगदान देने वाली है। इसके बाद नवीकरणीय ऊर्जा और फिर जलविद्युत का स्थान है। निजी क्षेत्र की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन में अधिक योगदान देता है। दूसरी ओर, वैश्विक परमाणु क्षमता उत्पादन में अमेरिका, फ्रांस और चीन की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। इस मामले में भारत विश्व में 9वें स्थान पर है। स्वतंत्रता के बाद से भारत ने 22 अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें समझौता ज्ञापन और यूरेनियम-आपूर्ति अनुबंध भी शामिल हैं।