सरकार ने चीन का नाम लिए बिना कुछ स्थानों से लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर तथा उसी प्रकार के उपकरणों के आयात पर पर आज रोक लगा दी। सरकार ने उन स्थानों से उपकरण आयात को नागरिकों की ‘सुरक्षा के लिए जोखिम’ बताते हुए यह फैसला किया। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत केवल भरोसेमंद साझेदारों से ही ऐसी वस्तुओं के आयात की इजाजत देगी।
वित्त वर्ष 2023 में देश में लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत लाई गई सात वस्तुओं का 8.8 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया था। इनमें 5.1 अरब डॉलर (58 फीसदी) मूल्य के उत्पाद चीन से आए थे।
वाणिज्य विभाग के अधीन आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि उसमें स्पष्ट किया गया है कि हवाई यात्री विदेश में खरीदी गई ऐसी वस्तुओं को भारत आते समय अपने साथ ला सकते हैं। इसमें कहा गया है, ‘समय-समय पर बदले जाने वाले बैगेज नियमों के तहत आयात पर यह पाबंदी लागू नहीं होगla।’
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ई-कॉमर्स या कूरियर के माध्यम से खरीदी या मंगाई गई ऐसी वस्तुएं भी पाबंदी से मुक्त होंगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा, ‘मगर ऐसे आयात पर शुल्क का भुगतान करना होगा।’ यह निर्णय तब लिया गया है, जब भारत खुद को
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का अड्डा बनाने में जुटा है और देश में ऐसे उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आईटी हार्डवेयर के वास्ते उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना भी लागू की है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस कदम का प्राथमिक उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा, ‘इंटरनेट उपलब्ध होने के कारण हमारे डिजिटल नागरिकों को ऐसा माहौल भी चाहिए, जहां वे उन मशीनों के संपर्क में न आएं, जिनसे सुरक्षा का जोखिम हो सकता है। कुछ हार्डवेयर में सुरक्षा संबंधित समस्या हो सकती है और इससे संवेदनशील तथा निजी जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है।’
इक्रियर में प्राध्यापक अर्पिता मुखर्जी ने कहा, ‘अगर कोई देश इसे चुनौती न दे तो यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप है।’ सरकार का यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। मगर अधिकारी ने कहा कि इस बारे में अधिसूचना जारी होने से पहले माल मंगाने के जो भी ऑर्डर दे दिए गए हैं, उनका माल देश में आने दिया जाएगा।
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उन्होंने कहा, ‘इसी तरह हम यह प्रावधान कर रहे हैं कि जहां भी दो साझेदारों के बीच आज की तारीख से पहले लेटर ऑफ क्रेडिट खोले गए हैं, वे 31 अगस्त तक अपने उत्पाद भारत ला सकते हैं। इसके बाद केवल लाइसेंस की शर्तों के तहत ही आयात की अनुमति होगी।’
शोध एवं विकास, परीक्षण, मानकीकरण और मूल्यांकन, मरम्मत तथा फिर से निर्यात और उत्पाद विकास के उद्देश्य से प्रति खेप 20 ऐसे उत्पाद लाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे आयात को उसी सूरत में अनुमति दी जाएगी, जब उन्हें बताए गए कार्यों के लिए मांगाया जाएगा और बेचने की अनुमति नहीं होगी।
(साथ में सौरभ लेले)