देश के कई हिस्से लंबे और शुष्क गर्मी के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में जलाशयों में जल स्तर और खाद्यान्न भंडारण पर करीबी नजर रखी जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिंचाई, बिजली उत्पादन और अनाज की आपूर्ति गर्मी से प्रभावित न होने पाए।
पिछले सप्ताह मौसम विभाग ने इस साल भीषण गर्मी का पूर्वानुमान जारी किया था। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्याप्त अनाज भंडारण, फायर ऑडिट और अस्पतालों में मॉक ड्रिल करने का आह्वान किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे जलाशयों में जल स्तर पर नजर रखें।
अल नीनो के गंभीर अनुमान और देश के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर उसके संभावित प्रभाव को देखते हुए यह कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। फिलहाल मॉनसून पर अल नीनो के प्रभाव के बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उम्मीद है कि जून से शुरू होने वाले चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन उत्तरार्ध में अल नीनो का प्रभाव दिख सकता है।
जलाशयों की स्थिति
जलाशयों में जल स्तर 9 मार्च के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले पहले से ही कम है। अच्छी खबर यह है कि इस दौरान जल स्तर पिछले 10 वर्षों के औसत के मुकाबले अधिक है।
केंद्रीय जल आयोग की निगरानी वाले 143 जलाशयों में से 18 में बिजली परियोजनाएं जुड़ी हुई हैं। 9 मार्च के जलाशय बुलेटिन के अनुसार, जलाशयों में जल भंडार 86.449 अरब घन मीटर (बीसीएम) है जो उनकी कुल भंडार क्षमता का 49 फीसदी है। पिछले साल की समान अवधि में इन जलाशयों में कुल क्षमता के मुकाबले 53 फीसदी जल उपलब्ध था।
हालांकि, इस वर्ष उपलब्ध 75.218 बीसीएम जल पिछले 10 वर्षों की समान अवधि के दौरान औसत भंडारण से काफी अधिक है। इस साल देश के अधिकांश हिस्सों में उम्मीद से कम बारिश होने के कारण जलाशयों में जल स्तर कम हो गया है।
देश भर में 1 जनवरी से 28 फरवरी के दौरान बारिश सामान्य से करीब 45 फीसदी कम हुई। इतना ही नहीं, मौसम विभाग के अनुसार, फरवरी 2023 में भारतीय क्षेत्र में औसत मासिक अधिकतम तापमान 1901 के बाद से सबसे अधिक था जबकि औसत मासिक न्यूनतम तापमान पांचवां सर्वाधिक था।
फरवरी में औसत न्यूनतम तापमान उत्तर-पश्चिम भारत में दूसरा उच्चतम, पूर्व एवं उत्तर-पूर्व के लिए तीसरा उच्चतम और 1901 के बाद से पूरे भारत में पांचवां उच्चतम था। इससे फरवरी असामान्य रूप से अधिक शुष्क हो गया और जलाशयों में जल स्तर कम हो गया।
क्षेत्रवार देखा जाए तो 9 मार्च 2023 के अनुसार, केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चला है कि उत्तर भारत में 10 अलग-अलग जलाशयों को छोड़कर देश के अन्य सभी क्षेत्रों के जलाशयों में जल स्तर पिछले वर्ष के मुकाबले कम था। मगर, सभी क्षेत्रों में जल स्तर 10 साल के औसत के मुकाबले कहीं अधिक था।
मौसम विभाग ने मार्च से मई के अपने पूर्वानुमान में कहा था कि पूर्व, उत्तर-पूर्व, मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान दोनों सामान्य से ऊपर रहने की उम्मीद है। केवल दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में अधिकतम और न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य अथवा सामान्य से नीचे रहने के आसार हैं।
अनाज भंडारण
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले सप्ताह अपनी समीक्षा बैठक में भारतीय खाद्य निगम को प्रतिकूल मौसम की स्थिति में अनाज का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
भीषण गर्मी से मुकाबले के लिए खाद्यान्न भंडारण सुनिश्चित करना काफी महत्त्वपूर्ण है। मार्च से मई की अवधि में पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद चरम पर होती है।
ये ऐसे राज्य हैं जहां गर्मी का असर सबसे अधिक महसूस किया जाता है। लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से मंडियों या अन्य जगहों पर खुले में पड़े गेहूं की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
केंद्र ने अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी सीजन में किसानों से 3.41 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है जो 2022-23 में हुई करीब 1.9 करोड़ टन की वास्तविक खरीद के मुकाबले काफी अधिक है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 तक भारतीय खाद्य निगम एवं राज्य एजेंसियों के स्वामित्व वाली और नियुक्त की गई एजेंसियों के पास उपलब्ध कुल भंडारण क्षमता 7.139 करोड़ टन है। 1 फरवरी, 2023 तक खाद्यान्न भंडार 3.3 करोड़ टन था।
बहरहाल, गेहूं की खरीद शुरू होने से सरकार के पास भंडारण के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। पिछले तीन से चार वर्षों के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ-साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गेहूं एवं चावल के भारी उठाव के कारण भंडार खाली हुआ है। फिलहाल ऐसा लगता है कि सरकार चुनौतियों से निपटने में समर्थ होगी।