सोमवार को Justice Suryakant ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने यह पद जस्टिस बी आर गवई की जगह संभाला, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हुआ। नियमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ और योग्य जज ही अगला CJI बनता है। इसी आधार पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया गया। वे 9 फरवरी 2027 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई बड़े नेता मौजूद रहे।
पिछले महीने कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई से नए CJI के लिए नाम सुझाने को कहा था। तय नियमों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ जज स्वाभाविक रूप से इस पद के लिए चुना जाता है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस गवई के बाद सबसे वरिष्ठ थे, इसलिए उनके नाम की सिफारिश की गई और उन्हें नया CJI नियुक्त किया गया।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में एक साधारण परिवार में हुआ। उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया और 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से एलएलबी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करते ही उन्होंने हिसार की जिला अदालत में वकालत शुरू कर दी।
वकालत शुरू करने के एक साल बाद, 1985 में वे चंडीगढ़ चले गए और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। वे संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों में विशेषज्ञ माने जाने लगे। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों, बैंकों और सरकारी संस्थानों की ओर से केस लड़े।
7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने। मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला। 9 जनवरी 2004 को वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए।
5 अक्टूबर 2018 को वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। वर्तमान में वे 12 नवंबर 2024 से सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन भी हैं।