भारत और सिंगापुर ने अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी का दायरा बढ़ाने के लिए कार्य योजना पेश की है। गुरुवार को पेश इस कार्य योजना में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार बढ़ाने, एक दूसरे के बाजार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने और चेन्नई में विनिर्माण परियोजनाओं के लिए एक उत्कृष्ट केंद्र स्थापित करने का जिक्र है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच 5 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए जो विमानन, कौशल विकास, हरित और डिजिटल नौवहन, अंतरिक्ष और डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेंगे, जिसमें अगली पीढ़ी के वित्तीय बुनियादी ढांचे का विकास भी शामिल है।
वार्ता के दौरान मोदी और वोंग ने उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, हरित नौवहन, कौशल विकास, असैन्य परमाणु ऊर्जा, विमानन और रक्षा तथा सुरक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें मानवरहित जहाजों के विकास में संभावित सहयोग भी शामिल है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर एक कंटेनर टर्मिनल का भी ऑनलाइन तरीके से उद्घाटन किया। ‘पोर्ट ऑफ सिंगापुर अथॉरिटी’ (पीएसए इंटरनैशनल) ने इस परियोजना में एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
सिंगापुर के साथ भारत के संबंधों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह देश भारत में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जो देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। हरित नौवहन पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) से हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर (जीडीएससी) की स्थापना पर सहयोग में सुविधा होगी।
संबंधों के अगले चरण के लिए, दोनों पक्षों ने सहयोग के आठ स्तंभों की पहचान की है जिनमें आर्थिक सहयोग, कौशल विकास, डिजिटलीकरण, स्थिरता, संपर्क, स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा, लोगों से लोगों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और रक्षा और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज हमने अपनी साझेदारी के भविष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है। हमारा सहयोग केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, उन्नत विनिर्माण, हरित नौवहन, कौशल विकास, असैन्य परमाणु ऊर्जा और शहरी जल प्रबंधन भी हमारे सहयोग के केंद्र बिंदु बनकर उभरेंगे।’
मोदी ने कहा, ‘हमने संकल्प लिया है कि अपने द्विपक्षीय व्यापार को और तेज करने के लिए हमारे व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के साथ-साथ आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन) के साथ हमारे मुक्त व्यापार समझौते की समयबद्ध समीक्षा की जाएगी।’
अपने संबोधन में, वोंग ने कहा कि दोनों देश नए अवसरों का लाभ उठा सकते हैं और क्षेत्र तथा उससे आगे स्थिरता और विकास में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘अत्यधिक अनिश्चितता और अशांति से भरी दुनिया में, भारत और सिंगापुर के बीच साझेदारी और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह साझेदारी साझा मूल्यों, आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं आने वाले वर्षों में सिंगापुर-भारत साझेदारी को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।’
मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर को भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बताया और कहा, ‘हम आसियान के साथ सहयोग को आगे बढ़ाते रहेंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अपने संयुक्त दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएंगे।’
मोदी ने कहा कि आतंकवाद के संबंध में दोनों पक्षों की चिंताएं समान हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि मानवता को महत्त्व देने वाले सभी राष्ट्रों का यह कर्तव्य है कि वे आतंकवाद के खतरे के विरुद्ध लड़ाई में एकजुट हों।’
मोदी ने कहा, ‘पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, मैं प्रधानमंत्री वोंग और सिंगापुर सरकार की भारत के लोगों के प्रति संवेदना और आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में उनके दृढ़ समर्थन के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।’
(साथ में एजेंसियां)