नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों के अगले चरण को लागू करने के लिए रूपरेखा तैयार करने के अंतिम चरण में है। इसमें निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए परमाणु ऊर्जा कानूनों में आवश्यक संशोधन और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (एसीसी-पीएलआई) योजना के लिए बोली लगाने वालों का चयन किया जाना शामिल है।
महत्त्वपूर्ण ऊर्जा क्षेत्रों में हो रहे काम की स्थिति के बारे में जोशी ने कहा कि सरकार नई योजना के तहत हरित हाइड्रोजन को रसोई गैस और हीटिंग के लिए इस्तेमाल को लेकर जल्द ही परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित करेगी। साथ ही सरकार एक नई बायो एनर्जी योजना भी विकसित करेगी। इसके अलावा नवंबर में सीओपी-30 से पहले भारत के तीसरे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।
जोशी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड की प्रश्नावली के लिखित जवाब में कहा, ‘परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र को अनुमति देने के लिए इन अधिनियमों (परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम) में संशोधन पर चर्चा करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा समितियों का गठन किया गया है। समितियों द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर इन विधायी संशोधनों को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श किया जा रहा है।’परमाणु ऊर्जा के बदले स्वरूप के तहत डिजाइन, निर्माण और परमाणु बिजली संयंत्रों के संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी की मांग की जा रही है। बिजली मंत्रालय परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग, राज्य सरकारों और उद्योग के साथ मिलकर काम कर रहा है।
ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में हुई प्रगति पर जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि ग्रिड-स्केल स्थिर ऊर्जा भंडारण के इस्तेमाल का समर्थन करने के मकसद से एसीसी-पीएलआई योजना की 10 गीगावाट प्रति घंटा (जीडब्ल्यूएच) क्षमता के लिए बोली लगाने वालों के चयन को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और बोली दस्तावेज पर काम अंतिम चरण में है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए एक नैशनल फ्रेमवर्क प्रकाशित किया है। इसके अलावा ऊर्जा भंडारण प्रणालियों वाली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क पर छूट दी है, और लगभग 43 गीगावॉट प्रति घंटे बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के विकास के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण को मंजूरी दी है।
हरित हाइड्रोजन पर आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने के प्रयासों के बारे में जोशी ने कहा कि नवीन तरीकों और मार्गों का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के लिए पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नैशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के तहत योजना दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘इसका मकसद खाना पकाने और हीटिंग जैसे कार्यों के लिए ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन के उपयोग से जुड़ी पायलट परियोजनाओं का समर्थन करना है। इस योजना के तहत प्रस्ताव जल्द ही आमंत्रित किए जाएंगे।’
सौर और पवन ऊर्जा आपूर्ति की अनिश्चितता के प्रबंधन के प्रयासों पर टिप्पणी करते हुए जोशी ने कहा कि सरकार ने हरित ऊर्जा उत्पादन की बेहतर भविष्यवाणी और रियल टाइम निगरानी के लिए 13 अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) स्थापित किए हैं। मंत्री ने कहा कि पवन ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के काम में तेजी लाने के लिए मंत्रालय राज्यों के साथ काम कर रहा है, जिससे परियोजनाओं के लिए सरकारी जमीन चिह्नित की जा सके और जहां सरकारी जमीन अपर्याप्त है, राज्यों को निजी जमीन के अधिग्रहण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जोशी ने कहा, ‘परियोजनाओं को लागू करने के लिए और वृद्धि का वातावरण तैयार करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है। मंत्रालय ने खासकर पवन ऊर्जा संपन्न राज्यों (तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश) से पवन ऊर्जा की क्षमता वाली जमीनों को पवन ऊर्जा या पवन सौर हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए सुरक्षित रखने को कहा है, जिससे जमीन का रणनीतिक और अधिकतम उपयोग हो सके।’