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वायु प्रदूषण से बढ़ रही हैं मौतें! हमारा देश दुनिया का 5वां सबसे प्रदूषित देश, लेकिन पहले, दूसरे स्थान पर कौन?

वायु प्रदूषण से भारत में जीवन प्रत्याशा अनुमानित रूप से 5.2 साल कम हो जाती है। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनिया में प्रति वर्ष प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत होती है।

Last Updated- March 11, 2025 | 10:30 PM IST
Pollution
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

विश्व में सबसे प्रदूषित वायु के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है। इससे अधिक जहरीली हवा वाले देशों में केवल चाड, कॉन्गो, बांग्लादेश और पाकिस्तान का ही नंबर आता है। स्विट्जरलैंड की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी आईक्यूएयर की ओर से 2024 के लिए जारी सूची में यह आकलन पेश किया गया है। अच्छी बात यह है कि भारत की स्थिति में पहले के मुकाबले कुछ सुधार हुआ है।

पिछले साल भारत में पीएम 2.5 कणों में 7 फीसदी की कमी आई है जो औसतन 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर वायु दर्ज की गई। इससे पहले 2023 में यह 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था।  हालांकि, दुनिया में सबसे प्रदूषित 10 शहरों में छह भारत के ही हैं। दिल्ली में लगातार ऊंचा प्रदूषण  स्तर बना हुआ है। यहां पीएम2.5 कणों का औसत 91.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जो एक साल पहले भी 92.7 के स्तर पर था। आईक्यूएयर ने 138 देशों के 40,000 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों से आंकड़े जुटाए हैं। 

केवल 12 देशों, क्षेत्रों और प्रांतों में पीएम2.5 कणों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 5.0 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के वार्षिक दिशानिर्देशों से नीचे पाया गया। इनमें अधिकांश देश लातिन अमेरिकी और कैरीबियाई अथवा ओशिनिया क्षेत्र के हैं। हालांकि, वर्ष 2024 में 17 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुरूप थी जबकि 2023 में ऐसे 9 फीसदी शहर ही थे।  

वायु प्रदूषण से भारत में जीवन प्रत्याशा अनुमानित रूप से 5.2 साल कम हो जाती है। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनिया में प्रति वर्ष प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत होती है। 2024 में दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के कुछ शहरों में जनवरी के दौरान वायु की गुणवत्ता काफी खराब रही। हिमाचल प्रदेश के बद्दी में पिछले साल जनवरी में पीएम2.5 का स्तर 165 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। मणिपुर में अक्टूबर में वायु गुणवत्ता तेजी से गिरी थी जबकि नवंबर का महीना दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के लिए खतरनाक रहा, जब पराली जलाने से प्रदूषण अत्यधिक बढ़ गया था। खास यह कि 35 फीसदी भारतीय शहरों में पीएम2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों से 10 गुना अधिक दर्ज किया गया।

डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार वायु में पीएम2.5 कणों का वार्षिक औसत 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि 24 घंटों के दौरान यह औसत 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा हर साल 3 से 4 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए। पीएम2.5 कण सबसे खतरनाक प्रदूषित तत्व होते हैं, क्योंकि ये फेफड़ों को पार कर रक्त प्रणाली में शामिल हो सकते हैं जिससे कैंसर समेत कई घातक बीमारियां हो सकती हैं।

भारत में वायु प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वाहनों का धुआं, औद्योगिक कचरा, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और पराली जलाने से निकलने वाला धुआं जिम्मेदार होता है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जहां वाहनों का धुआं अधिक प्रदूषण फैलाता है वहीं पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में जलाए जाने वाले फसल अवशेष इसके लिए अधिक दोषी माने जाते हैं। 

आईआईटी दिल्ली में सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज के प्रोफेसर साग्निक डे सुझाव देते हुए कहते हैं, ‘दिल्ली-एनसीआर में वाहनों का धुआं हवा को सबसे अधिक प्रदूषित करता है। इसलिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार कर निजी वाहनों को सड़कों से कम किया जा सकता है। स्वच्छ हवा के लिए किए जाने वाले उपायों के प्रति जवाबदेही और आंतरिक लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ जलवायु कार्यवाही अनुपालन से स्थिति बेहतर हो सकती है।’ दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने ऐलान किया है कि आगामी 1 अप्रैल से 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों के लिए किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। 

पिछले साल अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रदूषण रहित वायु में सांस लेना किसी का भी मूलभूत अधिकार है। प्रदूषण से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के साथ-साथ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को निर्देश दिया था कि उन्हें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपाय करने चाहिए।

First Published - March 11, 2025 | 10:14 PM IST

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