दुनिया भर में फैल रहे कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन.1 का सबसे अधिक खतरा भारत को है। जांच दर कम रहने से आशंका जताई जा रही है कि यह वेरिएंट तेजी से फैल सकता है। लोकलसर्कल्स के हालिया सर्वे से पता चला है कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों में से सिर्फ 18 फीसदी ने ही जांच कराया। इस कारण संक्रमितों की संख्या कम रहने को लेकर चिंता बढ़ गई है।
लोकलसर्कल्स ने इस साल 20 नवंबर से 18 दिसंबर के बीच देश के 303 जिलों के 24 हजार से अधिक लोगों का सर्वे किया। आंकड़ों से पता चला कि 76 फीसदी लोगों ने कहा उन्होंने अथवा उनके किसी परिजनों ने खांसी, सर्दी, बुखार और सांस लेने में परेशानी होने के बावजूद कोविड की जांच नहीं कराई।
सर्वे से पता चला कि सिर्फ कोविड के लक्षण वाले 18 फीसदी लोगों ने जांच कराई, जिनमें से 12 फीसदी ने आरटी-पीसीआर जांच कराई। जांच नहीं कराने के बारे में कुछ लोगों का कहना था कि उन्हें जांच कराना जरूरी नहीं लगा।
इसके अलावा कई लोगों का कहना था कि लक्षण के हिसाब से उन्होंने इलाज कराया, जबकि कई लोगों ने असुविधा और जांच की कीमत ज्यादा होने का हवाला देते हुए इससे इनकार किया। हालांकि, कई लोगों ने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच की सटीकता पर उन्हें संदेह है।
दिसंबर के पहले सप्ताह में जेएन1 वेरिएंट के सिंगापुर में 50,000 से अधिक मामले थे। जेएन.1 वेरिएंट अमेरिका, चीन और भारत में मिला है। आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में फिलहाल केवल 1,700 से अधिक सक्रिय मामले हैं।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि लक्षण वाले मरीज जांच नहीं करा रहे हैं। केरल और तमिलनाडु में जेएन.1 वेरिएंट के मामले मिलने और कोरोना से पांच लोगों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने 18 दिसंबर को सभी राज्यों को सतर्कता बरतने को कहा था।