बीते कुछ वर्षों से देश में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की मांग तेजी से बढ़ी है। अब तक इन सेंटर की मांग देश के 7 प्रमुख शहरों में ज्यादा देखी गई है। लेकिन अब इनकी मांग टियर-2 व 3 शहरों में तेजी से बढ़ सकती है। केंद्र सरकार ने हाल ही में आम बजट में टियर 2 और 3 शहरों में राज्यों को जीसीसी को आकर्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रावधान किए हैं। संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह के मुताबिक जीसीसी में तेजी से बढ़ती नियुक्तियों से 2030 तक 20 से 22.5 करोड़ वर्ग फुट की अतिरिक्त ऑफिस मांग पैदा होने का अनुमान है।
अब जीसीसी का मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग पर जोर
बीते वर्षों में IT/ITeS और बैंकिंग, वित्त सेवाएं और बीमा (BFSI) क्षेत्र में जीसीसी का अधिक ध्यान रहा। लेकिन अब मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग में फोकस बढ़ रहा है। एनारॉक ग्रुप के एमडी (कमर्शियल लीजिंग एंड एडवाइजरी) पीयूष जैन ने कहा, “पिछले दो से तीन वर्षों में भारत के बढ़ते आर्थिक प्रभाव ने जीसीसी के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और उन्हें बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई सहित देश के प्रमुख बाजारों की ओर आकर्षित किया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रीकोविड अवधि के विपरीत (जब इनमें से अधिकांश जीसीसी मुख्य रूप से आईटी/आईटीईएस और बीएफएसआई क्षेत्रों पर नजर गड़ाए हुए थे), अब उनका ध्यान इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग सहित अन्य क्षेत्रों पर जा रहा है। ऐसा वैश्विक आर्थिक केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रमुखता, ‘मेक इन इंडिया’ पहल, समग्र रूप से बेहतर बुनियादी ढांचा और हवाई अड्डों, रेलवे आदि के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने सहित विभिन्न कारकों के कारण हो रहा है।
ऑफिस लीजिंग में जीसीसी की हिस्सेदारी बढ़कर हुई 37 फीसदी