प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जीनोम इंडिया परियोजना के पूरा होने की घोषणा करते हुए 10 हजार भारतीय नागरिकों का जीनोम अनुक्रमण डेटा जारी किया। प्रधानमंत्री ने इसे जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर करार दिया। राष्ट्रीय डेटाबेस में देश के असाधारण आनुवंशिक परिदृश्य को समाहित किया गया है। यह आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में प्रगति की सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही नई दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीक के विकास को बढ़ावा देगा और विविध समुदायों की जीवनशैली तथा आदतों में अनुसंधान को सक्षम करेगा।
यह परियोजना जनवरी 2020 में शुरू की गई थी। जीनोम इंडिया डेटा देश में आनुवंशिक विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (ब्रिक) जैसे 20 से भी ज्यादा प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों ने इस शोध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह डेटा अब भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) के शोधकर्ताओं को उपलब्ध होगा।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित जीनोमिक्स डेटा सम्मेलन में मोदी ने अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘मुझे खुशी है कि देश के 20 से ज्यादा शोध संस्थानों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। इस परियोजना का डेटा 10 हजार भारतीयों का ‘जीनोम सिक्वेंस’ अब इंडिया बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध है।’इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, आईसीएमआर के महानिदेशक एवं स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव राजीव बहल और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश एस गोखले उपस्थित थे।