वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी दिन सोना 60 हजारी हुआ तो 2023-24 की सुबह कारोबार के नए मानकों को लेकर आ रही है। यानी एक अप्रैल से गोल्ड हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी।
ज्वैलरी बेचने के लिए 6 अंकों वाला अल्फा न्यूमेरिक एचयूआईडी अनिवार्य कर दिया गया। हालांकि पहले से स्टॉक घोषित कर चुके ज्वैलर्स को कुछ छूट दी गई है। इसके साथ ही सोने में अघोषित निवेश पर लगाम लगाने के लिए नकद सीमा घटाकर 50 हजार कर दी गई।
एक अप्रैल से फिजिकल गोल्ड बिना हॉलमार्क के नहीं मिलेगा और कोई भी दुकानदार बिना हॉलमार्क वाला सोना नहीं बेच सकेगा। बुलियन कारोबार में सोना के मानक तय करने वाली भारत सरकार की संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) ज्वैलर्स को पहले ही दे चुकी थी।
एक अप्रैल से नये हॉलमार्किंग नियमों के मुताबिक सभी ज्वेलर्स जो 288 जिलों में काम कर रहे हैं और अन्य जिलों में बीआईएस पंजीकृत ज्वैलर्स को दुकान में केवल एचयूआईडी आभूषण रखने की आवश्यकता है। एचयूआईडी के बिना आभूषणों के प्रदर्शन और बिक्री की अनुमति नहीं है। सरकार केवल उन ज्वैलर्स को 60-90 दिनों का विस्तार देने की योजना बना रही है, जिन्होंने अगस्त 2021 से पहले पुराना स्टॉक घोषित कर दिया है। दो ग्राम से कम की ज्वेलरी और अधूरी ज्वैलरी में एचयूआईडी होना जरूरी नहीं है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अध्यक्ष सुरेन्द्र मेहता कहते हैं कि सरकार के इस कदम से ज्वैलर्स के कारोबार में पारदर्शिता आएगी। देश के 288 जिलों में हॉलमार्क सेंटर काम कर रहे हैं जिन जिलों में सेंटर नहीं है वह पड़ोसी जिलों से अपने आभूषणों की हॉलमार्किंग कर सकते हैं क्योंकि अब बिना हॉलमार्क की आभूषण बेचना गैरकानूनी होगा।
एसोसिएशन सरकार के इस कदम का पूरा समर्थन करता है। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के सचिव कुमार जैन कहते हैं कि ज्वैलर्स पूरी तरह से तैयार है, बड़े शहरों में अधिकांश प्रतिष्ठित ज्वैलर्स पहले से हॉलमार्क वाले ही आभूषण बेच रहे थे लेकिन एक अप्रैल से थोड़ा बदलाव किया गया।
सोने के आभूषणों में हॉलमार्क में हुए बदलाव के बारे में कुमार कहते हैं कि पहले चार अंक की हॉलमार्किंग होती थी अब 6 अंकों की होगी। दरअसल सरकार यह जानना चाहती है कि सोना कहां से आया और कहां गया।
बीआईएस के मानकों के हिसाब से सोने में हॉलमार्किंग जरुरी है। अगर किसी ज्वेलरी में हॉलमार्किंग है, तो इसका मतलब कि वो शुद्ध है। कैरेट और शुद्धता के अनुसार हॉलमार्किंग के निशान डाले जाते हैं। जैसे 22K916 (91.6 फीसदी शुद्धता वाला 22 कैरेट सोना), 18K750 (75 फीसदी शुद्धता वाला 18 कैरेट सोना) आदि। यानी कोई दुकानदार आपको खरा सोना बोलकर कम कैरेट के गहने नहीं बेच पाएगा।
पुरानी ज्वैलरी के बारे में मेहता कहते हैं कि आपके पास पुराने सोने के गहने हैं, जो बिना हॉलमार्क के हैं तो आपको सोने के उस दिन के भाव के हिसाब से ही रेट मिलेंगे। लेकिन दुकानदार उस सोने का इस्तेमाल तब तक नहीं कर पाएगा जब तक वो उसे पिघला कर हॉलमार्क के साथ नया डिजाइन ना बना दे। इसके साथ ही मनीलैंडरिंग पर भी सरकार ने शिंकजा कस दिया है।
अब किसी ने 50 हजार से अधिक नकद (कैश) में सोना खरीदता है तो उसे साथ में अपनी पहचान बतानी होगी। 49,999 रुपये के ऊपर के नकद भुगतान पर सोने की खरीद पर ग्राहक को अपना कोई भी एक पहचान- आधार कार्ड, पेनकार्ड, पासपोर्ट या फिर राशनकार्ड में से एक की फोटोकॉपी देनी होगी। अगर किसी ग्राहक ने एक वर्ष में कई बार सोने की खरीदी की, जिसकी कुल राशि 10 लाख या अधिक रही तो इसकी सूचना ज्वैलर्स को आयकर विभाग को देनी होगी।
ज्वैलर्स के कारोबार में हुए बदलाव को सरकार भविष्य की तैयारी बता रही है। बीआईएस प्रमुख प्रमोद कुमार तिवारी पहले की कह चुके हैं कि बीआईएस ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों के लिए मानक तैयार कर रहा है। देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए मानक तैयार किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप बनाया जा रहा है, ताकि हमारा बाहरी व्यापार बिना किसी रुकावट के जारी रहे।