मध्य प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) युवाओं के लिए स्वरोजगार और उद्यिमता के अवसर तैयार करने पर खास जोर दे रही है।
प्रदेश के इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड इन्वेस्टमेंट प्रमोशन मंत्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सरकार का यह कदम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उस भावना के अनुरूप ही है जिसके तहत वे सोचते हैं कि हमारे युवाओं को रोजगार लेने वाला नहीं बल्कि देने वाला बनना चाहिए। अगर सारी सुविधाएं समाज के उच्च वर्ग के पास ही रहेंगी तो एससी-एसटी युवा क्या करेंगे? वे कब तक पारंपरिक पेशों में फंसे रहेंगे?’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम चाहते हैं कि वे आगे आएं और उद्यिमता के नए कीर्तिमान स्थापित करें। निवेशक, वेंचर कैपिटलिस्ट और हेज फंड भी हमसे लगातार कह रहे हैं कि आप हमें नए आइडिया दीजिए हम उसे आगे बढ़ाएंगे तथा उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएंगे।’
राज्य सरकार ने हाल ही में एक मंत्री समूह का गठन किया है जिसमें दत्तीगांव भी शामिल हैं। यह मंत्री समूह विभिन्न अंशधारकों के सुझावों के बाद एक अनुशंसा रिपोर्ट जारी करेगा।
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने इसे एससी-एसटी समुदाय के दमन से ध्यान हटाने की कोशिश करार दिया। गुप्ता ने कहा, ‘जब प्रदेश में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तो नियम बनाया गया था कि सरकारी खरीद का 30 प्रतिशत हिस्सा एससी-एसटी समुदाय के उद्यमियों से खरीदा जाएगा। शिवराज सरकार ने इसे बंद कर दिया। क्या वह बता सकते हैं कि उनकी सरकार की योजनाओं से आज तक कितने एससी-एसटी युवाओं को लाभ हुआ है?’
फिलहाल राज्य सरकार के विभाग तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम युवाओं को मुख्यमंत्री युवा उद्यमी और मुख्यमंत्री स्वरोजगार जैसी योजनाओं का लाभ दिलाता है। मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 1.5 करोड़ है जो कुल आबादी का लगभग 21 प्रतिशत है।