facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आयात शुल्क में रियायत पर वाणिज्य विभाग और IT मंत्रालय में मतभेद

WTO में भारत और EU के बीच विवाद के बीच आयात शुल्क में कटौती पर जोर दिया जा रहा है।

Last Updated- July 16, 2023 | 10:24 PM IST
Selective cut in ICT import duty: MeitY, commerce dept not on the same page
Business Standard

मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर 20 फीसदी आयात शुल्क में किसी खास देश के लिए कटौती करने के मसले पर वाणिज्य विभाग (department of commerce) और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच मतभेद हो गया है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता को मद्देनजर रखते हुए वाणिज्य विभाग तकनीकी उत्पादों पर शुल्क घटाने की गुंजाइश देख रहा है मगर दूसरे मंत्रालय शुल्क के जरिये देसी उद्योगों को सहारा देना नहीं छोड़ना चाहते।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच विवाद के बीच आयात शुल्क में कटौती पर जोर दिया जा रहा है। अब दोनों पक्ष सौहार्दपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाने की को​शिश कर रहे हैं। अप्रैल में डब्ल्यूटीओ की एक समिति ने कहा था कि भारत ने संगठन के सूचना प्रौद्योगिकी समझौते (ITA) के तहत शुल्क दर शून्य करने का वादा तोड़ा है। यूरोपीय संघ, जापान और चीनी ताइपे ने ऐसे ही तीन अलग-अलग मुद्दे उठाए थे।

भारत ने ITA पर हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए उसे मोबाइल हैंडसेट सहित तमाम उत्पादों पर शुल्क खत्म करना पड़ेगा। मगर 2007-08 के बजट के बाद भारत ने चीन से सस्ते सामान का आयात रोकने और देसी विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं पर शुल्क लगा दिया।

अब भारत की दलील है कि 1996 में जब उसने ITA पर दस्तखत किए थे, उस समय स्मार्टफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का वजूद ही नहीं था। इसलिए इन उत्पादों को भी उस समझौते के दायरे में रखना जरूरी नहीं है।

यूरोपीय आयोग के अनुसार भारत के इस उल्लंघन के कारण यूरोपीय संघ से ऐसी प्रौद्योगिकी का निर्यात सालाना 60 करोड़ डॉलर तक कम हो जाता है, जो काफी बड़ी रकम है।

वा​णिज्य विभाग का कहना है कि इस शुल्क से ज्यादा असर नहीं पड़ा है क्योंकि कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत में ऐसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों (आईसीटी) के कुल आयात में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी महज 3.03 फीसदी यानी करीब 55 करोड़ डॉलर थी।

एक व्य​क्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम शुल्क में किसी भी कटौती पर तभी विचार करेंगे जब दूरसंचार और आईटी मंत्रालय इसके लिए सहमत होंगे। फिलहाल वे शुल्क में रियायत देने को तैयार नहीं हैं।’

दूसरी ओर यूरोपीय संघ के साथ FTA वार्ता जारी है। सरकारी अधिकारी मान रहे हैं कि यह व्यापार समझौता पूरा करने में दोनों पक्षों को एक साल से अधिक समय लगेगा। ऐसे में दोनों पक्षों को बातचीत के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

संचार एवं आईटी मंत्रालय शुल्क में कोई रियायत देने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि वे देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहता है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी नई पहल को ध्यान में रखते हुए खास तौर पर ऐसा किया जा रहा है।

First Published - July 16, 2023 | 10:24 PM IST

संबंधित पोस्ट