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महाराष्ट्र: चुनावी बयानबाजी में धारावी पुनर्विकास परियोजना

धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में अदाणी समूह की 80 फीसदी और शेष हिस्सेदारी राज्य सरकार की है

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प्राची पिसल   
Last Updated- November 18, 2024 | 6:28 AM IST

महाराष्ट्र में दो दिन बाद (20 नवंबर) विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है और इस बीच, देश की सबसे बड़ी स्लम बस्ती की संकीर्ण और गंदी गलियां इन दिनों उम्मीदवारों की भीड़ से भरी है। धारावी विधान सभा से चुनाव लड़ने वाले हर दल के प्रत्याशी यहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए दिन-रात एक किए हैं।

विपक्षी दलों ने धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के मुद्दे को उठाया है और अब यह निर्वाचन क्षेत्र प्रदेश की राजनीति का प्रमुख स्थल बन गया है। साल 2022 में मध्य मुंबई में 600 एकड़ में फैली धारावी स्लम बस्ती के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा की गई नीलामी में अदाणी ने बोली जीती थी।

मगर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल नेता प्रतिपक्ष एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने कई भाषणों में धमकी दी है कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो अदाणी समूह को दिया गया ठेका रद्द कर दिया जाएगा। पिछले सप्ताह स्लम बस्ती से कुछ ही किलोमीटर दूर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक रैली में ठाकरे ने कहा था, ‘अगर हम सत्ता में आएंगे तो ठेका रद्द कर देंगे।’ ठाकरे के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी रैली में मौजूद थे।

धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) इस परियोजना पर काम कर रही है। धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास परियोजना (एसआरए) स्लम पुनर्वास परियोजना के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई एक विशेष निकाय है। धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में अदाणी समूह की 80 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि शेष हिस्सेदारी राज्य सरकार की है। धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड इस परियोजना को धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास परियोजना की देखरेख में पूरा करेगी।

इस स्लम बस्ती में दस लाख से अधिक लोग बदतर स्थिति में रह रहे हैं क्योंकि यहां उन्हें कम किराया लगता है। आबादी बढ़ने के साथ ही एक मंजिला बस्ती चार मंजिला असुरक्षित मकानों में तब्दील होती गई। परियोजना के मुताबिक, इस साल किए गए सर्वेक्षण के तहत वैध बाशिंदे को मुफ्त मकान दिए जाएंगे जबकि अन्य लोगों को राज्य सरकार मुंबई के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित करेगी।

धारावी के कुंभारवाडा में रहने वाले और पट्टे पर आइसक्रीम की दुकान चलाने वाले सोहनलाल का कहना है, ‘चुनाव लड़ने वाले कुछ प्रत्याशियों ने धारावी से बाहर न जाने का फैसला किया है। एक उम्मीदवार तो अपने चुनाव प्रचार में मकान के बदले मकान और दुकान के बदले दुकान का नारा बुलंद कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो अच्छा ही होगा।’

निविदा दस्तावेज के मुताबिक, 1 जनवरी 2000 या उससे पहले जिन लोगों का मकान भूतल पर है केवल उन्हें ही धारावी में 350 वर्ग फुट का मकान मिलेगा। यह मुंबई में किसी भी स्लम पुनर्वास परियोजना के मुकाबले 17 फीसदी अधिक है। इसके अलावा 1 जनवरी, 2000 से 1 जनवरी 2011 के बीच जिन लोगों ने भूतल पर अपना मकान बनवाया है वे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत 2.5 लाख रुपये में धारावी के बाहर 300 वर्ग फुट के मकान के लिए पात्र होंगे।

ऊपरी मंजिल पर मकान बनवाने वालों और 1 जनवरी, 2022 के बाद मकान बनवाने वालों को धारावी में कोई मकान नहीं दिया जाएगा। ऐसे लोगों को धारावी के बाहर 300 वर्ग फुट का मकान किराये पर दिया जाएगा। परियोजना की जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा कि किराया राज्य सरकार के निकाय द्वारा तय किया जाएगा और वही किरया एकत्र करेगा। इन अपात्र निवासियों के पास किराया अथवा मकान खरीदने का भी विकल्प होगा।

मगर ऊपरी मंजिल पर रहने वाले लोगों ने इन नियमों के खिलाफ विरोध जताया है। धारावी में रहने वालीं 70 वर्षीय मुक्ता कहती हैं, ‘हम यहां पिछले 70 वर्षों से रह रहे हैं। अब यहां हमारी पांचवीं पीढ़ी रह रही है। कोई यहां से बाहर नहीं जाएगा। हम यहां तभी से रह रहे हैं जब यहां घुटना भर कीचड़ रहता था। क्या हम जीवित नहीं रहें? ऊपरी तल्ले के ढांचे का क्या होगा, पुराने कारोबार कहां जाएंगे?’

धारावी में ही रहने वाले चेतन जोशी ने कहा, ‘लोगों के पास सभी मंजिलों को मिलाकर 1,000 से 1,600 वर्ग फुट तक के मकान हैं, जो किसी भी फ्लैट से बेहतर है। वे कितनी जगह दे सकते हैं।? वे 350 वर्ग फुट देने की बात कर रहे हैं। अभी हमारे पास 350 वर्ग फुट का मकान है तो फिर 350 वर्ग फुट देने से क्या हो जाएगा? बाकी जगह का क्या होगा? हमारा परिवार बिखर जाएगा।’

जोशी ने जोर देकर कहा कि वह धारावी से बाहर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘एक समय धारावी में कुछ नहीं था और हालात बहुत खराब थे। तब इसे विकसित क्यों नहीं किया गया? हमने यहां हर वर्ग फुट जगह के लिए संघर्ष किया है। यहां तक कि आज भी हमें अपनी छतों की मरम्मत कराते वक्त परेशानियों से जूझना पड़ता है। अगर हम कोशिश भी करते हैं तो अधिकारी आते हैं और केवल सवाल पूछकर चले जाते हैं। बगैर रिश्वत दिए कुछ नहीं होता है।’ जोशी धारावी की पतली गलियों के किनारे एक छोटी किराना दुकान चलाते हैं, जहां तक सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंच पाती है।

मगर परियोजना से जुड़े कर्मचारियों के मुताबिक, अपात्र और पात्र का मानदंड परियोजना की निविदा के अनुरूप है और इसे सरकार ने जारी किया है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा, ‘स्लम पुनर्वास परियोजना में पात्रता और अपात्रता के मानदंड सरकारी नियमों से तय हुए हैं। मकान बनाने और राज्य सरकार को सौंपने के अलावा धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की इसमें कोई भूमिका नहीं है।’

इसके अलावा, निविदा दस्तावेज के मुताबिक, सभी गैर प्रदूषणकारी और पात्र वाणिज्यिक अथवा औद्योगिक ढांचा (1 जनवरी, 2000 या उससे पहले भूतल पर बनी संरचनाएं) को धारावी में फिर से विकसित किया जाएगा। इसमें 225 वर्ग फुट तक जगह निःशुल्क आवंटित की जाएगी और टेलीस्कोपिक रिडक्शन विधि से निर्माण दर पर 225 वर्ग फुट से अधिक के स्थान दिया जाएगा।

सोहनलाल ने कहा, ‘पुनर्विकास को कुछ लोग सही मानते हैं, लेकिन कई लोग इससे चिंतित हैं। खासकर रिसाइक्लिंग कार्य से जुड़े लोग अधिक चिंतित हैं क्योंकि उन्हें यहां काफी जगह मिली है।’

धारावी के मामले में सरकार की नीति के मुताबिक कचरे की रिसाइक्लिंग कारोबार का पुनर्वास किया जाएगा। सरकार की नीति फिलहाल तैयार हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को कम आबादी वाले इलाके में भेजा जाना चाहिए। चमड़े के सामान बनाने वाले कारखाने, परिधान बनाने वाले कारखाने, खाद्य प्रसंस्करण, नकली आभूषण जैसे कारोबारों को धारावी के भीतर नए सिरे से बसाया जाएगा।

धारावी में रहने वाले कई लोग इस परियोजना की सराहना भी कर रहे हैं। सोहनलाल ने कहा, ‘आधे लोगों ने यहां वर्षों पहले ही जगह पर कब्जा कर लिया था। अब उन्हें बड़े घर मिलने वाले हैं। समझदार लोगों को पुनर्विकास के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी धारावी से बाहर जाने के लिए तैयार हूं।’ मगर सोहनलाल के साथ खड़े एक शख्स ने कहा कि पुनर्विकास सही है, लेकिन वे यहां सर्वेक्षण के लिए आए तक नहीं।

परियोजना की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘राजनीति करने के लिए कुछ लोग कभी-कभी सर्वेक्षण की प्रक्रिया में खलल डालते हैं, लेकिन यह क्षणिक है। कुछ ही घंटों में काम फिर से शुरू हो जाता है। धारावी में लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं है और कंपनी परियोजना के बारे में भी लोगों को बताने का प्रयास कर रही है।’ मगर जोशी का मानना है कि पारदर्शिता की कमी है। सोहनलाल ने कहा, ‘दूसरी बात यह है कि निवासी उस जगह के बारे में आश्वस्त होना चाहते हैं जहां वे भेजे जाएंगे। वे इसका सबूत चाहते हैं क्योंकि यहां उनका कारोबार चल रहा है।’

इस साल अप्रैल में धारावी पुनर्विकास परियोजना ने रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण(आरएलडीए) से धारावी से सटे कुल 45 एकड़ जमीन में से करीब 28 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। अब तक इस परियोजना में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है, जिसमें उस भूखंड के लिए 1,000 करोड़ रुपये और सर्वेक्षण एवं अन्य कार्यों के लिए 1,000 करोड़ रुपये शामिल है। 30 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र सरकार ने किराये के मकानों, स्लम पुनर्वास परियोजना, किफायती मकानों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मकानों के लिए कांजुर, भांडुप और मुलुंड में सॉल्ट पैन वाली जमीन के उपयोग की मंजूरी दे दी।

कुल मिलाकर स्वीकृत की गई 29.5 एकड़ भूमि में से कुछ भूखंड का उपयोग धारावी में रहने वाले अपात्र निवासियों के पुनर्वास के लिए किया जाएगा। इसी बैठक में धारावी के अपात्र निवासियों के लिए कम किराये वाली एक आवासीय योजना को भी मंजूरी दी गई।

सरकार ने 10 अक्टूबर की कैबिनेट बैठक में पश्चिम उपनगर बोरीवली में 140 एकड़ भूखंड के उपलब्ध हिस्से को धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास परियोजना को उपयोग करने की मंजूरी दी। इसके अलावा, अंग्रेजी समाचार पत्र द हिंदू की एक खबर के मुताबिक सरकार ने 14 अक्टूबर की कैबिनेट बैठक में धारावी के निवासियों के पुनर्वास के लिए देवनार डंपिंग मैदान में 124.3 एकड़ भूमि की मंजूरी दी थी।

मगर, उद्धव ठाकरे के बेटे और मुंबई की वर्ली विधान सभा के विधायक आदित्य ठाकरे ने जमीन आवंटन पर आपत्ति जताई। उन्होंने निविदा के मुताबिक, परियोजना से संबंधित संस्थाओं को दी गई भारी छूट की ओर इशारा किया। उन्होंने पूछा, ‘सभी प्रीमियम से बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को मिलने वाले 5,000 करोड़ रुपये की छूट दी गई और इसका भुगतान धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड अथवा स्लम पुनर्वास परियोजना को किया जाना है। जो कुछ बृहन्मुंबई महानगर पालिका के पास आना चाहिए वह स्लम पुनर्वास परियोजना अथवा अदाणी के पास क्यों जाना चाहिए?’

मगर परियोजना में काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि स्वीकृत भूमि में से कुछ का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है, जिसे राज्य सरकार और फिर धारावी पुनर्विकास परियोजना अथवा स्लम पुनर्वास परियोजना को सौंपा जाएगा। किसी भी जमीन का स्वामित्व अदाणी अथवा धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के पास नहीं है। उन्होंने कहा, ‘धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड वहां केवल अपात्र लोगों के लिए मकान बनाएगी और राज्य सरकार के अधिकारियों को सौंप देगी। फिर वही अधिकारी उन मकानों के आवंटन एवं किराया वसूलने के लिए जिम्मेदार होंगे।’

मुंबई प्रेस क्लब और मुंबई फर्स्ट की ओर से आयोजित सभा में आदित्य ठाकरे ने हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) और परियोजना के फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) पर भी सवाल उठाए, जो निविदा के अनुसार 4.0 है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी का मानना है कि पात्र निवासियों का पुनर्वास धारावी के भीतर करने के लिए पर्याप्त जगह है। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो भी निविदा शर्तों के अनुसार पात्र निवासियों को धारावी के भीतर ही नए सिरे से बसाना होगा। ऐसे में कंपनी को बिक्री के लिए कम जगह बच सकती है।

शिवसेना (उद्धव) द्वारा परियोजना की निविदा रद्द करने की घोषणा किए जाने के साथ ही धारावी के निवासी इस परियोजना के भविष्य के प्रति अनिश्चित हो गए हैं। सोहनलाल का कहना है, ‘हम कुछ नहीं कह सकते हैं। चुनाव के बाद ही सही जानकारी मिल पाएगी। परियोजना का रद्द होना इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार किसकी बनती है।’

ठाकरे ने कहा, ‘हम अदाणी द्वारा पुनर्विकास करने के खिलाफ नहीं हैं। हमारा कहना केवल इतना है कि अगर शहर में कोई काम हो रहा है तो वह कानून के दायरे में किया जाए। शहर को समृद्ध होना चाहिए और सभी को मकान मिलना चाहिए।’

First Published : November 18, 2024 | 6:20 AM IST