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दिल्ली में बिजली सब्सिडी सीमित करने की सलाह पर दिल्ली के उपराज्यपाल सक्सेना ने 15 दिन में फैसला करने को कहा

सक्सेना ने मुख्य सचिव कुमार से बिजली विभाग को यह निर्देश देने को कहा है कि वह डीईआरसी की सलाह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे और 15 दिनों के भीतर निर्णय ले

Last Updated- March 11, 2023 | 10:40 AM IST
VK Saxena

दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से बिजली विभाग को यह निर्देश देने को कहा है कि वह शहर में बिजली सब्सिडी सीमित करने संबंधी दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) की सलाह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे और 15 दिनों के भीतर निर्णय ले।

उपराज्यपाल ने ‘गरीब और जरूरतमंद उपभोक्ताओं’ के लिए बिजली सब्सिडी ‘सीमित’ करने के संबंध में दिल्ली सरकार को दी गई डीईआरसी की वैधानिक सलाह पर यह निर्देश दिया। बहरहाल, इस परामर्श को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

दिल्ली सरकार ने इस निर्देश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने एक बार फिर अपने कार्यक्षेत्र से ‘अवैध’ तरीके से परे जाकर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और संविधान का उल्लंघन किया है।

सक्सेना ने मुख्य सचिव कुमार से बिजली विभाग को यह निर्देश देने को कहा है कि वह डीईआरसी की सलाह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे और 15 दिनों के भीतर निर्णय ले।

अधिकारियों ने कहा कि सक्सेना के निर्देश जिस रिपोर्ट पर आधारित हैं, वह कुमार ने तैयार की थी। उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों द्वारा बिजली उत्पादन कंपनियों को बकाये का भुगतान नहीं किये जाने की शिकायतों पर गौर करते समय यह रिपोर्ट बनाई थी। इसे दिसंबर 2022 में उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपा गया था।

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोार्ट में है कि डीईआरसी ने 2020 में दिल्ली सरकार को सिर्फ तीन या पांच किलोवाट बिजली कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी देने की सलाह दी थी। इससे राजधानी के लगभग 95 प्रतिशत उपभोक्ता सब्सिडी के दायरे में आ जाते और सरकार को प्रति वर्ष लगभग 316 करोड़ रुपये की बचत होती।

डीईआरसी ने सलाह दी थी कि पांच किलोवाट से अधिक बिद्युत लोड वाले उपभोक्ता निश्चित तौर पर ‘गरीब’ नहीं होंगे और उन्हें सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए।

इस सलाह को जब नवंबर 2020 में बिजली विभाग ने संबंधित मंत्री के समक्ष रखा, तो उन्होंने इसे अगले साल मंत्रिपरिषद के सामने रखने को कहा।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार, बिजली विभाग ने 13 अप्रैल, 2021 को फिर से तत्कालीन बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन के समक्ष एक नोट रखा, लेकिन इसे मौजूदा योजना के पक्ष में खारिज कर दिया गया।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली विभाग डीईआरसी की वैधानिक सलाह को न केवल उपराज्यपाल के विचारार्थ रखने में विफल रहा, बल्कि इसे कैबिनेट के समक्ष भी विचार के लिए नहीं रखा गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा सब्सिडी योजना को आगे बढ़ाने से पहले वित्त विभाग की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।

इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह तत्कालीन बिजली मंत्री द्वारा कार्य संचालन नियमों में कथित चूक किए जाने के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराएं और उनसे अनुरोध करें कि वह अपने मंत्रिपरिषद के सदस्यों को इसके प्रावधानों का ईमानदारी से पालन करने का निर्देश दें।

First Published - March 11, 2023 | 10:40 AM IST

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