रक्षा मंत्रालय वर्ष 2025 को रक्षा क्षेत्र के लिए ‘सुधारों के वर्ष’ के रूप में मनाने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के सचिवों ने एक बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया। इस बैठक के दौरान विभिन्न रक्षा एवं सुरक्षा योजनाओं, परियोजनाओं, सुधारों और भविष्य की योजनाओं की समीक्षा भी की गई।
मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘मौजूदा तथा भविष्य के सुधारों को गति प्रदान करने के लिए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि वर्ष 2025 को सुधारों के वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। इस पहल का लक्ष्य है सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयार बल में परिवर्तित करना जो विविध क्षेत्रों में एकीकृत ऑपरेशन का संचालन कर सके।’
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली इस बैठक में सभी रक्षा सचिव उपस्थित थे और उन्होंने 2025 में जरूरी हस्तक्षेप के लिए नौ व्यापक क्षेत्रों की पहचान की। इनमें से चार देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने से संबंधित हैं। इसके लिए स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा, नवाचार पर बल दिया जाएगा, निजी-सार्वजनिक भागीदारी पर जोर होगा और देश को रक्षा निर्माण और निर्यात के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाने का प्रयास किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय शोध एवं विकास को बढ़ावा देकर तथा भारतीय उद्योगों एवं विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के बीच साझेदारी तैयार करके भारत को रक्षा उत्पादों के एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में स्थापित करना चाहता है। मंत्रालय ने 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य तय किया है जो वित्त वर्ष 2023-24 के 21,083 करोड़ रुपये से 137 फीसदी अधिक है। मंत्रालय रक्षा क्षेत्र और असैन्य उद्योगों के बीच तकनीक हस्तांतरण और नॉलेज की साझेदारी की सुविधा सुनिश्चित करेगा। साथ ही वह कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाकर निजी-सार्वजनिक भागीदारी को भी बढ़ावा देगा।
यह कदम उस समय उठाया गया है जब निजी और सरकारी उपक्रमों की देश के रक्षा उत्पादन में अहम भूमिका है। वित्त वर्ष 24 में उसने 1.27 लाख करोड़ रुपये सालाना का रिकॉर्ड आंकड़ा छुआ। रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों तथा अन्य सरकारी कंपनियों ने इसमें 79.2 फीसदी का योगदान किया जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 20.8 फीसदी रहा। यह वित्त वर्ष 23 के 1.09 लाख करोड़ रुपये से 16.7 फीसदी अधिक है। इससे यह भी पता चलता है कि देश का रक्षा क्षेत्र पहले ही केंद्र सरकार द्वारा 2029 के लिए तय तीन लाख करोड़ रुपये सालाना के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य का 40 फीसदी हासिल कर चुका है। वित्त वर्ष 20 से अब तक रक्षा उत्पादन में भी 60 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।
रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया है कि रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल और समय के लिहाज से संवेदनशील बनाना होगा ताकि क्षमता विकास सहज और तेज हो। इससे पहले दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि रक्षा खरीद प्रक्रिया यानी डीएपी 2020 को 2025 में पूरी तरह बदला जा सकता है।
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय, ‘भारतीय संस्कृति और विचारों को लेकर गर्व की भावना भरेगा’, ‘स्वदेशी क्षमताओं के माध्यम से वैश्विक मानक हासिल करने’ का विश्वास पैदा करेगा और ‘देश के हालात के मुताबिक आधुनिक सेनाओं के श्रेष्ठ व्यवहार को अपनाएगा।’ ये बातें रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की मौजूदा पहल के अनुरूप हैं। इससे पहले मंत्रालय ने खुलासा किया था कि नवंबर 2024 तक 132 रक्षा पूंजी खरीद अनुबंधों में से 126 भारतीय वेंडरों को मिले हैं।
मंत्रालय ने जोर दिया है कि सुधारों की मदद से सशस्त्र बलों के बीच एकजुटता बढ़ेगी और उनकी पहलों में अधिक एकीकरण आएगा। इसके साथ ही इससे एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना में भी मदद मिलेगी। इसका लक्ष्य तीनों सेनाओं के बीच कार्रवाई संबंधी जरूरतों की साझा समझ और संयुक्त कार्रवाई क्षमता विकसित करने का भी है। यह काम सेनाओं के आपसी सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से किया जाएगा।
थिएटर कमांड का लक्ष्य भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को एक कमांडर के अधीन लाना है। इससे कार्मिकों, परिसंपत्तियों, अधोसंरचना तथा लॉजिस्टिक्स को एकजुट किया जा सकेगा और उनका प्रभाव बढ़ेगा। योजना में तीन एकीकृत थिएटर कमांड शामिल हैं: चीन पर केंद्रित उत्तरी थिएटर कमांड, पाकिस्तान पर केंद्रित पश्चिमी थिएटर कमांड और समुद्री थिएटर कमांड।
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय सेवानिवृत्त होने वाले जवानों की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए उनके कल्याण के काम को भी प्राथमिकता में रखेगा। मंत्रालय ने कहा कि सेवानिवृत्त जवानों के कल्याण के अधिकतम उपायों को अपनाने का प्रयास भी किया जाएगा।