दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने आज मुख्यमंत्री केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जवल भूइयां की डबल बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की जमानत को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। अंतिम फैसला 10 सितंबर यानी मंगलवार को सुनाया जाएगा। अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में आबकारी नीति ‘घोटाले’ में जमानत की मांग और CBI की तरफ से की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। इसी मामले में आज कोर्ट ने केजरीवाल की याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा।
बता दें कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी। मगर, CBI की गिरफ्तारी को लेकर मामला जारी रहा। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अरविंद केजरीवाल को 26 जून, 2024 को गिरफ्तार किया था। AAP नेता केजरीवाल को तब CBI ने गिरफ्तार किया था जब वे कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की हिरासत में थे।
26 जून की CBI की गिरफ्तारी के बाद, 12 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने CM केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दे दी। जबकि ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को एक बड़ी बेंच को भेज दिया। हालांकि, CBI की तरफ से गिरफ्तारी के कारण वह हिरासत में ही रहे। ED ने केजरीवाल को 12 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था।
आज, आबकारी नीति मामले में CBI की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल को जमानत देता है, तो इससे दिल्ली हाईकोर्ट का मनोबल गिरेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अरविंद केजरीवाल ने आरोपपत्र की कॉपी संलग्न नहीं की है, उनकी जमानत याचिका चीजों को छिपाने के आधार पर खारिज की जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट के मनोबल वाली बात पर जस्टिस भूंयन ने असहमति जताई और कहा, ‘ऐसा मत कहिये’।
बता दें कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपनी याचिका में 5 अगस्त के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने CBI की गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि वे जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में जा सकते हैं। उन्होंने अपनी जमानत याचिका पर विचार करने से हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए एक और विशेष अनुमति याचिका भी दायर की थी।
CBI की तरफ से गिरफ्तार किए जाने वाली याचिका पर 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर जांच एजेंसी CBI से जवाब मांगा था।
एसवी राजू ने आज कहा, ‘सेशन कोर्ट में गए बिना उन्होंने सीधे दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 439 के तहत, दोनों का समवर्ती क्षेत्राधिकार है। मेरी शुरुआती आपत्ति यह है कि उन्हें पहले निचली अदालत जाना चाहिए।’
CBI ने CrPC की धारा 41A के तहत केजरीवाल को नोटिस जारी नहीं किया क्योंकि वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे। इससे पहले, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले में CBI ने उन्हें लगभग दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया और ED द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलने के बाद 26 जून को उनकी गिरफ्तारी की गई।
मुख्यमंत्री की ओर से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच को बताया कि केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी से पहले CBI की तरफ से कोई नोटिस नहीं दिया गया था और निचली अदालत ने एक पक्षीय गिरफ्तारी आदेश पारित किया था।
CM केजरीवाल की जमानत की मांग करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं और उनके भागने का खतरा नहीं है। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल का नाम भी CBI की प्राथमिकी में नहीं है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं। सिंघवी ने कहा, ‘अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, उसके कारण इस साल मार्च में धनशोधन मामले में गिरफ्तारी हुई।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एक निचली अदालत पहले ही उन्हें जमानत दे चुकी है।
(भाषा के इनपुट के साथ)