उत्तर और मध्य भारत के कई इलाकों में आज भी बेमौसम बारिश, तेज हवाएं और ओलावृष्टि जारी रही, जिससे गेहूं, सरसों, चना, गन्ने की खड़ी फसलों और मौसमी सब्जियों तथा बागवानी फसलों को काफी नुकसान होने का अंदेशा है। हालांकि नुकसान कितना हुआ, इसका पता खेतों में पानी घटने और सर्वेक्षण के बाद ही चलेगा।
इस बार मौसम ने जबरदस्त करवट बदली है। कुछ हफ्ते पहले देश भर में गरम हवा चल रही थी और अब बेमौसम बारिश हो रही है। इससे फसलों की पैदावार घटने का खतरा है।
केंद्र सरकार ने भी माना कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की खड़ी फसल को कुछ नुकसान हुआ है लेकिन सरसों और चना की ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि इनकी अधिकतर कटाई हो चुकी है। बागवानी फसलों की बात करें तो कुछ इलाकों में ओलावृष्टि से केला और आलू जैसी फसलों को थोड़ा नुकसान हो सकता है।
इस बीच मौसम विभाग ने कहा है कि मंगलवार से बारिश थमने लगेगी। भारतीय मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक मंगलवार से उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में बारिश, आंधी और ओलावृष्टि का असर काफी कम हो जाएगा। लेकिन 24 मार्च से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान और दिल्ली में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है।
मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट में मौसम तथा जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बारिश का यह नया दौर पश्चिमी विक्षोभ के कारण होगा जिसके 23 मार्च की रात से सक्रिय होने का अनुमान है।’
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की सबसे ज्यादा मार गेहूं की खड़ी फसल पर पड़ने की आशंका है। उन इलाकों में खास तौर पर असर होगा, जहां फसल पककर कटाई के लिए तैयार है।
आईग्रेन इंडिया में कमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा, ‘हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की अगैती फसल पर बारिश का असर पड़ा है जिससे बीज की गुणवत्ता खराब होगी और अच्छी किस्म के गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं।’
मध्य प्रदेश के किसान संगठन राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के संस्थापक सदस्य भवनान मीणा ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में किसान व्यापक स्तर पर गेहूं की खेती करते हैं और हाल में हुई बारिश से गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित होगी, जिससे बाजार में उपज के कम दाम मिलेंगे।’
पिछले कुछ दिनों से राज्य सरकारें भी हरकत में हैं और प्रभावित किसानों को नुकसान का मुआवजा देने का भरोसा दे रही है। उन्होंने नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण का वादा भी किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को नुकसान का आकलन के लिए सर्वेक्षण करने तथा किसानों को तत्परता से मुआवजा देने का निर्देश दिया है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्थिति की समीक्षा के लिए बीते रविवार को उच्च स्तरीय बैठक की जबकि मध्य प्रदेश और तेलंगाना सरकार भी गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में नुकसान का जायजा लेने के लिए सक्रियता दिखा रही है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान में बेमौसम बारिश से प्रभावित बूंदी इलाके का दौरा किया, जबकि राज्य सरकार ने किसानों को मुआवजा देने का भरोसा दिया है। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि राज्य सरकारें राज्य आपदा राहत कोष के धन का उपयोग कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘फसल को थोड़ा नुकसान हुआ है। मगर कितना नुकसान हुआ है, इसकी आकलन रिपोर्ट अभी राज्य सरकारों से नहीं मिली है।’ उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारें नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट देती हैं तो केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष के तहत मुआवजा देगी।
कृषि आयुक्त पीके सिंह ने कहा कि दो लाख हेक्टेयर गेहूं में कुछ फीसदी का नुकसान होता भी है तो ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इस फसल वर्ष में 3.4 करोड़ हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बोआई हुई है।