महत्त्वपूर्ण डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर संभावित साइबर हमलों के अनुमान को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी डिजिटल प्रणाली को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है। बुधवार को सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। इन बुनियादी ढांचों में बिजली उत्पादन केंद्र, राष्ट्रीय बिजली ग्रिड, बैंक, अस्पताल, रक्षा प्रणाली, दूरसंचार कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) शामिल हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय (मेइटी) ने इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम से संभावित साइबर हमले को लेकर लगातार नजर बनाए रखने को कहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसमें डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विसेज (डीडीओएस), मालवेयर, डिनायल ऑफ सर्विसेज (डीओएस) और सोशल इंजीनियरिंग शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘हमने पाया है कि पहलगांम में हुई आतंकी घटना के बाद डीडीओएस और डीओएस हमले बढ़े हैं। सभी डिजिटल एजेंसियों से कहा गया है कि वे अपनी निगरानी बढ़ाएं और सभी संभावनाओं को लेकर सचेत रहें।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) को हाई अलर्ट पर रहने को कहने के साथ मेइटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपलोड और साझा की जा रही सामग्री पर भी नजर रख रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को नियमित एडवाइजरी के माध्यम से संवेदनशील बनाया जा रहा है कि ऐसी सामग्री नहीं प्रकाशित की जानी चाहिए, जो सूचना तकनीक नियम, 2021 और सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 के मुताबिक गलत हो।
बहरहाल सरकारी अधिकारियों ने विश्वास जताया है कि पहलगांम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया के बाद आने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं। ग्रिड इंडिया, द ग्रिड ऑपरेटर ऑफ इंडिया और पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि उनकी ऑटोमेटिक सुरक्षा प्रणाली है, जिसकी निरंतर निगरानी की जा रही है।
बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नैशनल पॉवर ग्रिड चौबीस घंटे निगरानी की प्रक्रिया का पालन करता है और तैयारियां सुनिश्चित रखने के लिए इसकी नियमित समीक्षा की जाती है। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सिक्योरिटी प्रोटोकॉल से लेकर आईटी सिस्टम तक ग्रिड की सभी व्यवस्था, एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल ऐंड डेटा एक्वीजिशन) के माध्यम से रियल टाइम डेटा कलेक्शन और निगरानी का काम आपातकाल से निपटने के हिसाब से बनाया गया है। यह व्यवस्था किसी तरह के साइबर हमले से निपटने और उन्हें चिह्नित करने को ध्यान में रखकर बनाई गई है।’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पीजीसीआईएल के अंतर्गत केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) द्वारा देखरेख किए जा रहे विद्युत ट्रांसमिशन नेटवर्क पर ऐसे खतरों के लिए नियमित रूप से निगरानी रखी जाती है। अधिकारी ने कहा, ‘यह सीटीयू के लिए नियमित कवायद है। लेकिन हाल की प्रगति को देखते हुए उन्हें अलर्ट रहने और अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा गया है।’
पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अशोक चंद्रा ने कहा, ‘सीमा पर स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी साइबर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की है, जिससे संभावित साइबर हमले से बचा जा सके। चौबीस घंटे का एक वार रूम बनाया गया है और हमारी टीमें सक्रियता से सभी इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक काम कर रही हैं।’