भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) के लेखापरीक्षा मानकों में संशोधन की प्रक्रिया पर शुक्रवार को रोक लगाने की मांग की।
आईसीएआई ने एक बयान जारी कर इन मानदंडों में प्रस्तावित संशोधन पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि पहले सभी साझेदारों से विचार-विमर्श किया जाए ताकि कोई भी बदलाव इस पेशे और आम लोगों के सर्वश्रेष्ठ हित में रहे।
एनएफआरए ने मंगलवार को ऑडिटिंग 600 (एसए) के संशोधित मानदंड जारी कर इस पर लोगों की राय मांगी थी। एनएफआरए के मुताबिक उसने भारत के ग्रुप ऑडिट की गुणवत्ता में खासी खामियां पाई थीं और उसमें उचित जांच-पड़ताल का गंभीर रूप से अभाव था।
आईसीएआई की काउंसिल की उसी दिन हुई बैठक के बाद कहा गया कि ऑडिटिंग 600 के मौजूदा मानदंड प्रभावी हैं और समय के अनुरूप हैं, लेकिन बेहतर जनहित के लिए और समीक्षा तथा मजबूती की जरूरत है।
आईसीएआई ने कहा, ‘ भारत के विशिष्ट विनियामक तरीके और व्यावसायिक वातावरण के मद्देनजर विदेशी मानदंडों को लागू करने से पहले घरेलू जरूरतों और स्थितियों का सावधानीपूर्वक आकलन करना जरूरी है।’
संस्थान ने कहा कि ग्रुप ऑडिटर सहायक कंपनियों की लेखापरीक्षा करने वाली सहायक कंपनियों जैसे छोटी फर्मों के काम की गुणवत्ता की निगरानी करने की आड़ में प्रबंधन को इस बात के लिए राजी कर सकता है कि वह छोटी लेखापरीक्षा फर्मों के स्थान पर उसके फर्म से ही काम कराएं। इससे लेखा परीक्षा कार्य कुछ ही फर्मों के हाथों में केंद्रित हो जाएगा।
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘आईसीएआई का मानना है कि समूह ऑ़डिटर के लिए यह न संभव है और न ही उचित है कि वे अपने समान ही योग्य ऑ़डिटर के कार्य का आकलन करें या उनके फैसलों को नियंत्रित करने का उन्हें अधिकार मिले।’
सूत्रों के मुताबिक एनएफआरए इस मामले पर कानूनी सलाह ले चुका है कि वह अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली कंपनियों के लिए संशोधित मानदंड जारी कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, ‘इन मानदंडों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी एनएफआर की है क्योंकि वह इसके लिए जवाबदेह है।’
एनएफआरए ने सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी नोट में आईसीएआई की चुनिंदा बड़ी कंपनियों का दबदबा होने की चिंताओं का समाधान करते हुए कहा था कि देश की सक्रिय कंपनियों में एनएफआरए के दायरे में आने वाली कुल इकाइयों और उनकी सहायक कंपनियों का हिस्सा सिर्फ 1.8 फीसदी है।
एनएफआरए ने कहा, ‘संशोधित मानदंडों से करीब 98 फीसदी कंपनियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो छोटी और मध्यम ऑडिट कंपनियों की ऑडिट करने की संख्या पर कोई महत्त्वपूर्ण असर नहीं होगा।’
संशोधित मानदंडों में कहा गया है कि ग्रुप ऑडि़टर ही अंततः ऑडिट कार्य के लिए जिम्मेदार है।