यात्रा टिकटों के रिफंड या ई-कॉमर्स से संबंधित शिकायतों में मदद की तलाश करने वाले उपभोक्ता उम्मीद कर सकते हैं कि सरकार की योजना लागू होने के बाद उन्हें कानूनी रास्ता नहीं अपनाना पड़ेगा। उपभोक्ता मामलों का विभाग मध्यस्थता के जरिये उपभोक्ता शिकायतों के समाधान पर ‘गंभीरता से विचार’ कर रहा है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इससे शिकायतों के समाधान में लगने वाला वक्त कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही उपभोक्ता आयोगों पर बोझ भी कम होगा। यह कंपनियों के लिए भी ज्यादा किफायती विकल्प होगा।’
उन्होंने कहा, ‘हम उपभोक्ता शिकायतों के मुकदमे से पहले के समाधान पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं जिसमें मध्यस्थता प्रमुख हिस्सा होने जा रही है। हम मुकदमे के चरण में पहुंचने से पहले उपभोक्ता शिकायतों का संतोषजनक ढंग से समाधान करना चाहते हैं।’ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को हर महीने 1,25,000 शिकायतें मिलती हैं जिनमें से अधिकांश ई-कॉमर्स वेबसाइटों से संबंधित शिकायतें होती हैं। इसके बाद बैंकिंग, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से संबंधित शिकायतें होती हैं। कई शिकायतें मुकदमे के चरण में पहुंच जाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम उपभोक्ता हेल्पलाइन सेटअप को विकसित और मजबूत करने की योजना बना रहे हैं तथा मामले सुलझाने में मदद करने के लिए कानून या तकनीकी जानकारों को शामिल करने पर विचार कर रहे हैं। यह मौजूदा कॉल एजेंट प्रणाली से कहीं आगे की चीज होगी।’ उन्होंने कहा, ‘हम अब प्रक्रिया तेज करने में मदद के लिए मध्यस्थता अधिनियम 2023 की आवश्यकताओं को समझ रहे हैं।’
मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ता मामलों का विभाग राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों और भारतीय प्रबंधन संस्थानों में ऐसे लोगों की तलाश कर रहा है, जिन्हें हेल्पलाइन के लिए पैनल में शामिल किया जा सके। अधिकारी ने कहा ‘हम अब ऑनलाइन मध्यस्थता पर विचार कर रहे हैं, जहां उपभोक्ताओं को तुरंत ऑनलाइन विवाद निपटारे के लिए मध्यस्थों से सलाह का विकल्प मिलेगा।’