त्योहारी सीजन भले ही खत्म हो गया है लेकिन विधान सभा चुनावों की रौनक से मुंबई और आसपास का इलाका गुलजार है। चुनावी नैया पार करने के लिए उम्मीदवार अपने समर्थकों के खाने-पीने और परिवहन की सुविधा का भी पूरा खयाल रखते हैं। चुनाव आयोग ने धनबल को रोकने के लिए खर्च की सीमा के साथ ही चाय, कुर्सी, टेंट, गाड़ी, होटल आदि की दर तय कर दी है। ऐसे में उम्मीदवार गैर-जरूरी खर्च के लिए नकद पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं।
आयोग के हिसाब से एक चाय 10 रुपये की, एक वड़ा पाव 25 रुपये का पड़ेगा और एक व्यक्ति के नाश्ते पर 30 रुपये से ज्यादा खर्च नहीं किए जाएंगे। इसी तरह चुनाव प्रचार के लिए दो घंटे के लिए रथ का किराया 15,550 रुपये और तीन घंटे के लिए 22,000 रुपये तय किया है। झंडे, बैनर और ढोल-ताशे की दर भी तय है और इन सभी खर्च को उम्मीदवार के खर्च में जोड़ा जाता है।
विधान सभा चुनाव में प्रति उम्मीदवार अधिकतम 40 लाख रुपये खर्च की सीमा तय की गई है। किसी उम्मीदवार को ज्यादा पैसों का अनुचित लाभ न मिले और चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष हो, इसके लिए खर्च की सीमा तय की गई है। मगर उम्मीदवार चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित खर्च की सीमा से कई गुना ज्यादा खर्च कर रहे हैं।
मुंबई और आसपास के इलाकों में एक विधानसभा क्षेत्र में करीब 10 प्रभाग आते हैं जिसे देखते हुए ज्यादातर उम्मीदवार ने 5 से 6 चुनाव कार्यालय खोले हैं। आयोग ने एक महीने के कार्यालय का किराया 2.20 लाख से 5.50 लाख रुपये तय किया। हर कार्यालय को संभालने के लिए 20 से 25 लोग नियुक्त किए जाते हैं जो इलाके के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को जोड़ने का काम करते हैं।
इन्ही कार्यालयों से इलाके के हिसाब से प्रचार टोली नियुक्त की जाती है। यहां काम करने वालों को हर दिन औसतन 1,000 रुपये मिलते हैं। मगर उम्मीदवार इन सबको पार्टी कार्यकर्ता बताते हैं ताकि चुनावी खर्च में इनको दिए गए पैसे न जुड़े।
एक व्यक्ति दिन भर में औसतन चार-पांच चाय, दो बार नाश्ता और दो बार खाना खाता है। प्रत्येक बाइक में रोजाना औसतन दो लीटर पेट्रोल पड़ता है। इस तरह देखा जाए तो एक व्यक्ति पर हर दिन कम से कम 300 रुपये खर्च और हजार रुपये दिहाड़ी होती है। चुनाव के समय करीब 500 लोगों की उम्मीदवार फौज खड़ी करते हैं। इसके अलावा बाहर से आने वाले लोगों के रुकने और वाहन की भी व्यवस्था करनी पड़ रही है। आयोग ने गाड़ी (इनोवा, अर्टिगा आदि) का किराया रोजाना के हिसाब से 5,000 रुपये और होटल के सामान्य कमरे का किराया 3,000 रुपये तय किया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई इलाके में विधान सभा चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति कम से कम 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च करता है जबकि चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये है। उम्मीदवार आयोग को जो हिसाब देते हैं उसमें प्रचार में शामिल लोगों को कार्यकर्ता यानी स्वेच्छा से बिना पैसे के काम करने वाला बताया जाता है। मगर सच्चाई यह है कि इनमें से ज्यादातर लोगों को उम्मीदवार की ओर किसी अन्य; व्यक्ति द्वारा नकद भुगतान दिया जाता है। होटलों में रुकने वाले लोग अपने नाम से किराया बुक करते हैं और भुगतान भी किसी और से होता है।
दरअसल ज्यादातर खर्च नकद में होता है जिसका कोई हिसाब किताब नहीं रहता है। होटल-रेस्टोरेंट कारोबारियों का कहना है कि इन दिनों बड़ी संख्या में खाने का ऑर्डर दिया जा रहा है और ज्यादातर खाना पैक करके लेकर जाते हैं। मुंबई और आसपास के इलाकों में घर में खाना बनाने वाले (घरगुती) वालों की चांदी हो गई है।
घरगुती चलाने वाली शोभा कहती है कि हमारे जो तय ग्राहक है उनके अलावा पिछले 15 दिनों से मुझे हर दिन 200-300 प्लेट अतिरिक्त खाने का ऑर्डर सुबह ही मिल जाता है। इससे ज्यादा लोगों का खाना हम बना भी नहीं सकते। सुनैना पलांडे कहती है कि इस बार त्योहार कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है और हमें छुट्टी ही नहीं मिल रही है। हर दिन 200 लोगों का खाना बनाना पड़ रहा है जबकि पिछले साल दीवाली के बाद कुछ दिनों तक मुश्किल से 20 से 25 लोगों का खाना बनाना होता था।
पिछले कई महीनों से काम की तलाश में भटक रहे युवराज को इस समय काम की कमी नहीं है। चुनावी रैलियों में भीड़ जुटा कर ताकत दिखाने और इसे सोशल मीडिया पर वायरल करने के चलन से ऐसे लोगों की मांग चुनाव के समय बढ़ गई है। क्रिएटर ग्राफी के मालिक प्रवीण सिंह कहते हैं कि जब से चुनाव की तारीख घोषित हुई है तब से उनकी पूरी टीम को सांस लेने का समय नहीं है।
उम्मीदवारों के 30 से 90 सेकंड के वीडियो क्लिप तैयार कर तुरंत देना होता है ताकि उनके समर्थक सोशल मीडिया में उसे पोस्ट कर सकें। इस समय एक कैमरा मैन को हर दिन औसतन 5,000 रुपये और एक क्लिप को एडिट करने के 3,000 रुपये मिल रहे हैं। रैली में जाने के लिए 500 रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक मिल रहे हैं।
हालांकि आयोग चुनाव में धनबल को रोकने के लिए बेहिसाब खर्च पर भी कड़ी नजर रख रहा है। 9 नवंबर तक 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के बेहिसाब रुपये जब्त किए गए हैं। मुंबई के अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारी राजेंद्र क्षीरसागर ने कहा कि प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के हर खर्च पर पैनी नजर है। प्रत्येक खर्च का विवरण व्यय नियंत्रण कक्ष को देना अनिवार्य है। चुनाव खर्च पर्यवेक्षक उम्मीदवारों के खर्चों का तीन बार ऑडिट करेंगे।
उम्मीदवार को अपने खर्च का दैनिक हिसाब-किताब निर्धारित प्रारूप में रखना जरूरी है और किसी भी सभा या पदयात्रा की अनुमति लेते समय उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधियों को संभावित खर्च की योजना भी बतानी होती है। महाराष्ट्र में कुल 4,140 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राज्य की 288 विधान सभा सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। लोगों की सुविधा के लिए उस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।