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नवाबों के जमाने से राजधानी लखनऊ के पुराने चौक इलाके में लगती आ रही फूल मंडी को हटा दिया गया है। फूल के थोक कारोबारियों के विरोध को दरकिनार करते हुए गुरुवार सुबह मंडी पर बुलडोजर चला दिया गया और पूरे क्षेत्र को खाली करा लिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नई फूल मंडी पॉश गोमतीनगर में बने किसान बाजार में स्थापित किया है। अधिकारियों का कहना है कि पुरानी मंडी से हटाए गए लोगों को वहां दुकान दी जाएगी। उत्तर प्रदेश की इस सबसे पुरानी फूल मंडी से हर रोज 4-5 लाख रुपये के फूल बिकते थे। सहालग, त्योहारों व पूजा के दिनों में फूल की बिक्री दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती थी।
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सजावट के लिए भी यहीं से फूल भेजे गए थे। राजधानी लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के पीछे की तरफ खाली जमीन पर यह फूल मंडी लंबे समय से लग रही थी। मंडी की जमीन का स्वामित्व हुसैनाबाद ट्रस्ट के पास है जो लखनऊ जिला प्रशासन की देखरेख में काम करता है। हुसैनाबाद ट्रस्ट ने 2011 में फूल मंडी की जमीन 100 साल की लीज पर दी थी पर इस साल इसे निरस्त करते हुए जमीन खाली करने का आदेश दिया था।
फूल मंडी हटाने का विरोध कर रहे दुकानदारों का कहना है कि यहां से 150 से ज्यादा परिवार जुड़े हैं। आसान पहुंच के चलते लखनऊ के पड़ोसी जिले सीतापुर और हरदोई से किसान यहां थोक में फूल बेचने के लिए आते थे। नई मंडी का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पुरानी मंडी में 120 दुकानें थीं और बड़ी तादाद में लोग जमीन पर फूल बिछाकर व ठेलों पर भी धंधा करते थे। नए मंडी स्थल किसान बाजार में अब तक एक दर्जन लोगों को भी दुकान नहीं दी गयी है और पुरानी जगह पर बुलडोजर चला दिया गया है।
फूल मंडी के थोक कारोबारी मकसूद हसन ने बताया कि किसान बाजार में कम तादाद में दुकानें है और वहां सभी लोगों को समायोजित ही नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि किसानों के लिए चौक फूल मंडी में लाकर अपना माल बेचना आसान था। नई जगह पर न तो किसान आसानी से पहुंच पाएंगे और न ही खरीदार। चौक मंडी हटाए जाने का विरोध कर रहे आचार्य त्रिवेदी का कहना है कि पुरानी फूल मंडी में थोक के साथ ही बड़ी तादाद में बाहर खुदरा दुकानें भी लगती थी और सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी। किसान बाजार में खुदरा दुकानदारों के लिए कोई जगह नहीं है।