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रेयर अर्थ मैग्नेट के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: सरकार ने ₹7,280 करोड़ की योजना को मंजूरी दी

दुनिया में दुर्लभ खनिज का पांचवां सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद भारत सालाना उपयोग किए जाने वाले लगभग समूचे 900 टन मैग्नेट का आयात करता है

Last Updated- November 26, 2025 | 10:34 PM IST
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केंद्र सरकार ने दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आज 7,280 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। यह महत्त्वपूर्ण खनिज के लिए एकीकृत घरेलू आपूर्ति श्रृंखला बनाने की भारत की पहली कोशिश है।

इस कार्यक्रम का मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिकी, एरोस्पेस और रक्षा जैसे क्षेत्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हर साल 6,000 टन दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट का उत्पादन क्षमता विकसित करना है। इससे स्थानीय विनिर्माण में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और व्यापक स्तर पर अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम के तहत वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से 5 लाभार्थी चुने जाएंगे जिनमें से प्रत्येक 1,200 टन प्रति वर्ष क्षमता के लिए पात्र होगा। इस योजना में 5 साल के लिए बिक्री से जुड़ी प्रोत्साहन राशि के रूप में 6,450 करोड़ रुपये और विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी के रूप में 750 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। यह योजना आवंटित किए जाने की तारीख से सात साल तक चलेगी, जिसमें विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए दो साल और इसके बाद प्रोत्साहन वितरण के 5 साल शामिल हैं।

भारत फिलहाल अपनी जरूरत के दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। यह मैग्नेट सबसे मजबूत किस्म के स्थायी मैग्नेट में से है जिसका उपयोग उच्च टेक्नॉलजी में किया जाता है। दुनिया में दुर्लभ खनिज का पांचवां सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद भारत सालाना उपयोग किए जाने वाले लगभग समूचे 900 टन मैग्नेट का आयात करता है। इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, औद्योगिक उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र की बढ़ती मांग के कारण वर्ष 2025 से 2030 के बीच दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट की घरेलू खपत दोगुनी होने की उम्मीद है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘इस पहल के साथ भारत अपनी पहली एकीकृत दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट विनिर्माण इकाइयां स्थापित करेगा, जिससे रोजगार सृजित होंगे, आत्मनिर्भरता मजबूत होगी और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के संकल्प को बढ़ावा मिलेगा।’ इसमें कहा गया है कि इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट बाजार में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करना भी है।

यह एकीकृत दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट विनिर्माण इकाइयों की स्थापना में मदद करेगा जिसमें दुर्लभ खनिज ऑक्साइड को धातुओं में, धातुओं को अलॉय में और अलॉय को तैयार दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट में परिवर्तित करना शामिल है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के प्रेसिडेंट शैलेश चंद्रा ने कहा कि यह पहल लचीली और स्थिर आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है, खास तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में आवश्यक पुर्जों के लिए।

चंद्रा ने कहा, ‘इस योजना से स्वच्छ मोबिलिटी समाधान को अपनाने में तेजी आने और भारत के व्यापक सततता लक्ष्यों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं को विकसित करके यह योजना कार्बन उत्सर्जन घटाने और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने में में भी मदद करेगी।’

वाहनों के कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एक्मा के प्रेसिडेंट विक्रमपति सिंघानिया ने कहा कि यह रणनीतिक और दूरदर्शी सोच वाली पहल है जो इले​क्ट्रिक वाहन और उन्नत मोबिलिटी पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे जरूरी अंतर को पाटेगा।  विशेषज्ञों का मानना है कि दुर्लभ खनिज स्थायी मैग्नेट के लिए प्रोत्साहन की घोषणा राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन में मौजूदा आवंटन के साथ सुरक्षित, प्रतिस्पर्धी महत्त्वपूर्ण खनिज पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की व्यापक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का संकेत है।

ईवाई इंडिया में पार्टनर और एनर्जी टैक्स लीडर राजू कुमार ने कहा, ‘मैग्नेट विनिर्माण के लिए प्रस्तावित सहायता खनन, प्रसंस्करण, अलॉय और उन्नत धातु में नए अवसर के द्वार खोल सकता है।’ उन्होंने कहा कि अब इस पहल की असली परीक्षा इसे सही तरीके से लागू करने की होगी।

First Published - November 26, 2025 | 10:29 PM IST

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