बोर्ड की परीक्षाएं साल में दो बार होंगी। इसमें छात्र किसी भी परीक्षा के सर्वश्रेष्ठ अंकों को रख सकते हैं। इसका ध्येय बोर्ड की परीक्षा रटने की जगह विश्लेषण मूल्यांकन को आसान बनाना है। यह सिफारिश शिक्षा मंत्रालय के नए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) में की गई है।
इसमें यह भी कहा गया है कि कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए। इसी तरह कक्षा 9 और 10 के छात्रों को अनिवार्य रूप से तीन भाषाओं का अध्ययन करना चाहिए। यह बदलाव अगले अकादमिक वर्ष से लागू होंगे। अभी कक्षा 9 और 10 के छात्रों को अनिवार्य रूप से दो भाषाओं का अध्ययन करना पड़ता है जबकि कक्षा 11 और 12 के छात्रों को अनिवार्य रूप से एक भाषा का अध्ययन करना पड़ता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को नए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) सौंप दिया। इसके आधार पर एनसीईआईटी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव करेगी। इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने एनसीएफ तैयार किया है। इसमें हरेक विषय का बोझ कम करने की सिफारिश की गई है और छात्रों में चिंतन व विश्लेषणात्मक ढंग से पढ़ाई की सिफारिश की गई है।
कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य ‘स्ट्रीम’ तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी।
पाठ्यचर्या के अनुसार, व्यवसायिक शिक्षा, कला शिक्षा और शारीरिक शिक्षा एवं सेहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि इन मामलों में अधिकांश मूल्यांकन प्रदर्शन आधरित होना चाहिए और लिखित परीक्षा आधारित नहीं।