Bharat Bandh today: ट्रेड यूनियनों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकारी नीतियां महंगाई बढ़ा रही हैं। (फाइल फोटो: पीटीआई)
Bharat Bandh today: देशभर में बुधवार (9 जुलाई) को ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ओर से भारत बंद बुलाया गया है। इसका मकसद सरकार की “कॉरपोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी” नीतियों का विरोध करना है। इस बंद से बैंकिंग, परिवहन, बिजली सहित कई सेक्टर्स के प्रभावित होने की आशंका है। इस बंद में देश की 10 बड़ी ट्रेड यूनियन शामिल हैं।
स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों को लेकर किसी केंद्र या राज्य सरकार ने बंद की नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। जब तक स्थानीय प्रशासन कोई निर्देश नहीं देता, स्कूल-कॉलेज सामान्य रूप से खुले रहेंगे।
रेलवे इस बंद का हिस्सा नहीं है, इसलिए ट्रेनें सामान्य रूप से चलने की उम्मीद है। हालांकि, कुछ जगहों पर पटरियों या स्टेशनों के पास प्रदर्शन के कारण आंशिक असर या सुरक्षा व्यवस्था बढ़ सकती है।
अस्पताल, आपातकालीन मेडिकल सेवाएं, दवाइयों की दुकानें, और बिजली-पानी जैसी जरूरी सेवाएं सामान्य रूप से चालू रहेंगी।
अधिकांश खुदरा दुकानें और स्थानीय बाजार खुले रहने की संभावना है, लेकिन सार्वजनिक आवाजाही कम होने और परिवहन बाधित होने के चलते व्यापार धीमा रह सकता है।
बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ सकता है। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन (AIBEA) से संबद्ध बंगाल प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ ने हड़ताल में शामिल होने की पुष्टि की है।
बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में भाग ले सकते हैं, जिससे सेवाओं में देरी हो सकती है, हालांकि कोई आधिकारिक छुट्टी घोषित नहीं की गई है।
बिजली क्षेत्र की हड़ताल में 2.7 मिलियन (27 लाख) से अधिक कर्मचारी शामिल हो सकते हैं, जिससे कुछ इलाकों में बिजली कटौती या सेवाओं में रुकावट संभव है।
फैक्ट्रियां, कोयला खदानें और डाक सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू के अनुसार, राज्य परिवहन सेवाएं भी प्रभावित रहेंगी।
कई शहरों में बस, टैक्सी और ऐप आधारित कैब सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। सड़क जाम, रुकावट और प्रदर्शन मार्च के चलते ट्रैफिक डायवर्जन की आशंका है, खासतौर से पीक आवर्स में।
केरल में स्थिति स्पष्ट नहीं है। राज्य के परिवहन मंत्री केबी गणेश कुमार ने कहा कि केएसआरटीसी की बसें सामान्य रूप से चलेंगी, लेकिन ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की नोटिस पहले ही जारी कर दी है। इससे बस सेवाओं में आंशिक असर संभव है।
डाक सेवाओं और सरकारी परिवहन सेवाओं में रुकावट आ सकती है। एनएमडीसी, राज्य परिवहन विभाग और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी भी हड़ताल में भाग ले सकते हैं।
यह हड़ताल 17 सूत्रीय मांगों के आधार पर बुलाई गई है, जिन्हें पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को सौंपा गया था। यूनियनों का आरोप है कि सरकार ने उनकी बातों को अनदेखा किया और पिछले 10 वर्षों से सालाना श्रम सम्मेलन नहीं कराया गया।
उनका दावा है कि नए चार श्रम कानून यूनियन की ताकत को कमजोर करते हैं, सामूहिक मोलभाव के अधिकार खत्म करते हैं, और काम के घंटे बढ़ाते हैं, जिससे सिर्फ कॉरपोरेट को फायदा होता है।
यूनियनों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकारी नीतियां महंगाई बढ़ा रही हैं, वेतन पर दबाव डाल रही हैं, और स्वास्थ्य, शिक्षा तथा बुनियादी सेवाओं पर खर्च में कटौती कर रही हैं।