केंद्रीय मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने सरकार की ओर से संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किए जाने को ‘ऐतिहासिक’ कदम करार दिया और कहा कि इससे महिलाओं को सही मायने में उनका अधिकार मिलेगा तथा समाज में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया। इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।
मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर किए एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत की सनातन संस्कृति के अनुरूप ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:’ को देश के लोकतंत्र में चरितार्थ करके दिखाया है। उन्होंने कहा, ‘आज लोकसभा में पेश हुआ ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ एक ऐसा निर्णय है, जिससे हमारी नारी शक्ति को सही मायने में उनका अधिकार मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया है कि ‘महिला नीत सशक्तीकरण’ मोदी सरकार के लिए एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प है।’
विपक्ष ने विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ बताया
विपक्ष के कई दलों ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार दिया और कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) की महिलाओं को भी भागीदारी देकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है। वर्ष 2010 में राज्यसभा में कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाया था। राजनीति में जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इस विधयेक के जरिये सामान मौका मिलना चाहिए।’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘आज मोदी सरकार जो विधेयक लाई है, उसे गौर से देखने की जरूरत है। विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा। इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाजे बंद कर दिए हैं।’